नेत्रों का फड़कने के शकुन की दृष्टि से क्या है मायने

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अंग फड़कना हमें भविष्य को लेकर सचेत करता है। बस जरूरत है कि अंगों के फड़कने का अर्थ हम समझ सकें। यहां हम आपको नेत्रों के फड़कने के प्रभाव से अवगत कराने वाले हैं, जो आपको भविष्य के प्रति संकेत देता है। अगर किसी व्यक्ति का बाया नेत्र ऊपर की ओर फड़के तो परिणाम स्वरूप चिंता, भय, शोक, लड़ाई आदि की प्रबल आशंका रहती है। दाया नेत्र फड़कना पुरुष के लिए शुभकारी होता है, जबकि स्त्रियों के मामलें में इसे उलटा करके देखना चाहिए। अगर किसी पुरुष के दायें नेत्र की ऊपर वाली पलक फड़के तो धन, यश, ख्याति की प्राप्ति होती है। अगर नौकरी करते हैं तो प्रोन्नति का लाभ भी आपको प्राप्त हो सकता है, लेकिन नीचे की पलक फड़के तो चिंता की वजह हो सकती है।

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अगर बायें नेत्र का ऊपरी पलक फड़के तो शत्रु से संघर्ष बढ़ सकता है। अगर नीचे की पलक फड़के तो कहासुनी या विवाद हो सकता है। व्यक्ति को नीचा भी देखना पड़ सकता है। अगर दायी आंख का दायी ओर का कोना फड़के तो कहा-सुनी हो सकती है। व्यक्ति को नीचा भी देखना भी पड़ सकता है। बायीं आंख के नाक की ओर का कोना फड़के तो यह एक शुभ लक्षण होगा। पुत्र प्राप्ति की सूचना होगी या किसी शिष्य या छोटी आयु के प्रियजन से भेट हो सकती है।

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अगर दायीं आंख फड़के तो बहुत शुभकारी माना जाता है, लेकिन किसी स्त्री की दायीं आंख फड़कती है तो इसे अशुभ माना जाता है। पुरुष की बायीं आंख फड़कती है तो इसे अशुभ माना जाता है, लेकिन किसी स्त्री की फड़कती है तो यह शुभकारी है। स्त्री क दायीं आंख का फड़कना अशुभकारी माना जाता है। अगर दोनों नेत्र एक साथ फड़के तो चाहे वह स्त्री हो या पुरुष , समान फल की प्राप्ति होती है, किसी बिछुड़े हुए प्रियजन से मिलाप हो सकता है। अगर दायी आंख नीचे से ओर फड़के तो यह भय, चिंता और शोक की वजह हो सकता है।

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