ओ३म् “आर्य पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादकों के सम्मान की योजना”

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वैदिक धर्म के प्रचार-प्रसार में हमारे विद्वानों तथा भजनोपदेशकों सहित आर्य साहित्य के प्रकाशकों एवं नियमित प्रकाशित वैदिक विचारधारा प्रधान आर्य पत्र-पत्रिकाओं का भी प्रशंसनीय योगदान है। समाज में जो भी व्यक्ति वैदिक धर्म एवं ऋषि भक्ति से प्रभावित होकर वैदिक धर्म प्रचार में सहायक होता है, वह सभी सम्मानीय होते हैं।

यह अनुभव किया गया है कि आर्यसमाज की पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादकों का उत्साहवर्धन करने के लिये समाज में कोई योजना होनी चाहिये जिसका वर्तमान में अभाव है। इस उद्देश्य की पूर्ति करने के लिये आर्यसमाज की प्रमुख मासिक पत्रिका ‘‘अध्यात्म पथ” की ओर से आर्य पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादक महानुभावों के सम्मान की योजना बनाई जा रही है। इसके अन्तर्गत चयनित सम्पादक बन्धुओं को प्रशस्ति-पत्र सहित सम्मान धनराशि दिये जाने का विचार है। इस कार्यक्रम को आनलाईन क्रियान्वित किया जा सकता है। इसके बाद आर्य पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादक महानुभावों का एक आनलाइन सम्मेलन आयोजित किये जाने का भी विचार है। इन योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए विश्व के सभी आर्य पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादक महानुभावों से सहयोग की अपेक्षा है। सभी से प्रार्थना है कि वह अधोलिखित ई-मेल अथवा व्हाट्सएप्प पर निम्न जानकारी प्रेषित करने की कृपा करें।

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1- पत्र-पत्रिका का नाम, 2- प्रकाशन का आरम्भ किस वर्ष में हुआ, 3- पत्र-पत्रिका की प्रकाशन अवधि, 4- पत्र-पत्रिका की कुल पृष्ठ संख्या, 5- प्रकाशन का स्थान/नगर आदि, 6- पत्र-पत्रिका की प्रसार संख्या, 7- पत्रिका के वर्तमान सम्पादक जी का नाम व पता (मोबाइल/व्हटशप नम्बर सहित), 8- सम्पादक महोदय की जन्म तिथि एवं शिक्षा, 9- पत्रिका किस भाषा व भाषाओं में प्रकाशित होती है, 10- सम्पादक महोदय जी द्वारा अद्यावधि लिखे सम्पादकीय लेखों सहित वैदिक विषयपरक लेखों की संख्या।

नोट- कृपया पत्र-पत्रिका के उपसम्पादक तथा सहसम्पादकों के विषय में भी उक्त जानकारी पृथक-2 प्रेषित करें।

आर्य पत्र-पत्रिकाओं के सभी सम्मानित सम्पादक महोदयों से अनुरोध है कि वह उक्त विवरण निम्न पते, व्हटशप न. वा ईमेल पर प्रेषित करने की कृपा करें जिससे अभीष्ट कार्य सम्पादित किया जा सके।

निवेदकः-

चन्द्रशेखर शास्त्री, प्रधान सम्पादक
अध्यात्म पथ (मासिक),
फ्लैट नंबर-सी-1, पूर्ति अपार्टमेंट,
विकासपुरी, नई दिल्ली-110018
मोबाईल न. 9810084806

सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

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