ओरछा धाम: राम राजा भगवान साक्षात् प्रकट होकर विराजमान हुए

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ओरछा धाम: राम राजा भगवान साक्षात् प्रकट होकर उनकी गोदी में विराजमान हुए

orachha dhaam: raam raaja bhagavaan saakshaat prakat hokar unakee godee mein viraajamaan hueबुंदेला राजवंश के अद्भुत वास्तुशिल्प को प्रदर्शित करने वाली, मध्यप्रदेश स्थित ‘‘ओरछा की ऐतिहासिक धरोहरों’’ को संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन यूनेस्को की धरोहरों की अस्थायी सूची में शामिल किया गया है । एकमात्र मंदिर है जहां पुलिस सुबह और शाम सलामी देती है। यह मंदिर दुनियाभर में लोकप्रिय है। यहां भगवान राम को राजा के रुप में पूजा जाती है, दूर-दूर से राजा के रुप में भगवान राम का सम्मान देखने भक्त आते हैं। यहां मध्यप्रदेश पुलिस के जवान सूर्योदय और सूर्यास्त पर बंदूकों से सलामी देते हैं। सलामी देने का सिलसिला सालों से चला आ रहा है। जो आज भी जारी है। यहां भक्तों को पान का बना हुआ प्रसाद भी खिलाया जाता है।

ओरछा में कलयुग अवतार राम राजा सरकार कहे जाते हैं। प्राचीन काल में राजाओं को रात्रि में पूर्ण सलामी दी जाती थी और यह परंपरा आज भी शासकीय रूप से सलामी देने की निभाई जा रही है। चूंकि भगवान राम राजा ने साक्षात् कलयुग में धर्म स्थापना हेतु अवतार लिया था, अंत : वे महल में ही विराजमान रहे और मंदिर में स्थापित नहीं किए जा सके। ओरछा धाम को द्वितीय अयोध्या कहा जाता है तथा यहां पर अनेक मंदिर, महल आदि आज भी पूरे इलाके में फैले हैं। ये मंदिर व महल स्थापत्य कला और अनेक विशेषताओं के लिए जाने जाते हैं। ये सभी मंदिर, महल आदि बुंदेला राजाओं ने सोलहवीं शताब्दी में बनवाए थे और तीर्थस्थल व पर्यटक दृष्टि से ये सभी अति उत्तम व दर्शनीय हैं।

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धार्मिक प्राचीन कथा

भगवान राम राजा सरकार को ओरछा धाम में लाने के लिए मां कौशिल्या स्वरूपा रानी कुंवरि गनेश की साधना ही माध्यम बनी थी। रानी ने सरयू के किनारे जाकर कठिन तपस्या की और भोजन, शयन, नींद का त्याग करके भक्ति में लीन हो गईं, पर राम के दर्शन उन्हें नहीं हुए। अंत में उन्होंने शरीर त्याग करने का मन बनाया और बेतवा नदी के मध्य में आगे बढ़ीं, उसी समय राम राजा भगवान साक्षात् प्रकट होकर उनकी गोदी में विराजमान हुए और कहा आप वरदान मांग लीजिए तो रानी ने कहा आप मेरे साथ मेरे महल में विराजमान हों और तभी से राम राजा महल में निवास कर रहे हैं।

पृथक् – पृथक् अनेक देवता निवास

राम राजा का कोई मंदिर नहीं है और वे अपने साथी अन्य देवी – देवताओं के साथ महल के विभिन्न कक्षों में आज भी विराजमान हैं। इनके अपने ही कक्ष में लगभग बीस देवता निवास करते हैं और इसके अतिरिक्त अन्य कक्षों में पृथक् – पृथक् अनेक देवता निवास करते हैं। महल प्रांगण में एक बड़ा चौकोर आंगन है और उसमें केवल दो द्वार हैं। चौकोर आंगन के एक कोने में नवग्रह भी विराजमान हैं। सभी देवी – देवता वहां पर लाकर स्थापित किए गए हैं। मंदिर का यह भाग रंगरोगन करके अति सुंदर व दर्शनीय बना दिया गया है। यात्री एक द्वार से नंगे पैर प्रवेश करते हैं और दर्शन करके दूसरे द्वार से बाहर चले जाते हैं। यहां प्रसाद के स्थान पर आपकी इच्छा एक कागज में लिखकर पान के बीड़े के साथ राम राजा को अर्पित की जाती है, पर यात्री श्रद्धावश प्रसाद व फूलपत्र चढ़ाने लगे हैं, तो पुजारी उन्हें भी राम राजा को अर्पित कर देते हैं।

मंदिर प्रांगण के अन्य स्थल

  • गिरवरधारी हनुमानजी : यह मंदिर चतुर्भुज मंदिर के पास पुरानी टकसाल के पास है।
  • छाड़ द्वारी मंदिर : यहां हाथ में अंगूठी लिए हुए हनुमानजी की विशाल प्रतिमा है तथा साथ में महादेव व देवी मंदिर दर्शनीय हैं।
  • हनुमानजी की मढ़िया : यह काठियावाड़ के एक भक्त ने निर्मित कराया था। इसमें हनुमानजी दीवार में प्रतिष्ठित हैं।
  • लंका हनुमानजी : यहां की मूर्ति श्री लंका नामक स्थान से लाकर स्थापित की गई है और मंदिर नदी के किनारे है।
  • चतुर्भुज मंदिर : यह मंदिर बहुत बड़े पत्थर के प्लेटफार्म पर बना है और ओरछा धाम का सबसे बड़ा मंदिर है। यहां वास्तव में रानी राम राजा को स्थापित करना चाहती थीं, पर ऐसा न होने पर चतुर्भुज भगवान की मूर्ति स्थापित कर दी गई है।
  • श्री कौशल किशोर एवं गिरवरधारी मंदिर : मंदिर प्रांगण में ही भगवान कौशल किशोर जी का यह मंदिर है और यह आज भी नियमित रूप से भगवान को अयोध्या वापसी हेतु सौंपा जाता है।
  • श्री चंद्रसखी मंदिर : यह सरखड़िया तालाब के पास है, पर इसकी मूर्तियां मुख्य मंदिर में ही स्थापित हैं।
  • श्री विश्वंभर मंदिर : राम राजा धर्मशाला के पास है और इसमें विश्वंभर भगवान के साथ श्रीकृष्ण व राम – लक्ष्मण – जानकी व राधिका जी की मूर्तियां विराजमान हैं।
  • संतोषी मां मंदिर : मुख्य मंदिर के पीछे पहाड़ियों में स्थित है और इसमें संतोषी मां का निवास माना जाता है।
  • श्री देवी हरसिद्धी मंदिर : ओरछा पुलिस थाने के पास स्थित है, जिसमें देवी हरसिद्धी अन्य देवी- देवताओं के साथ पाषाण विग्रह रूप में विराजमान हैं।
  • शीतला देवी मंदिर : ये जहांगीर महल के पीछे स्थित है और इसे सिद्ध स्थान की मान्यता प्राप्त हैं तथा ग्रामवासी नियमित इसकी पूजा – अर्चना करते रहते हैं।
  • विंध्यवासिनी मंदिर : यह मंदिर बेतवा नदी के पास मात्र एक चबूतरे के अवशेष रूप में स्थित है।
  • पंचमुखी महादेव मंदिर : ये मंदिर खजुराहो शैली में निर्मित है, जिसे बुंदेला शैली भी कहा जाता है। मंदिर में एक आठ स्तंभी क्षेत्र में सुंदर चित्रों में पौराणिक एवं दशावतार कथानकों का चित्रण है।

ओरछा के महल

यह स्थान अपने अनेक महलों के कारण भी प्रसिद्ध है।

  • राजमहल : सबसे प्राचीन है। इसमें जीवन के विभिन्न रंगों से संबंधित अनेक भित्ति – चित्र खूबसूरत अत्यंत दर्शनीय हैं।
  • जहांगीर महल : मुगल शासक जहांगीर ने इस महल में निवास किया था। इसमें लगभग 100 भूमिगत कक्ष हैं, जिन्हें सैनिकों के रहने हेतु उपयोग किया जाता था। इस महल की खिड़कियां फारसी शैली की हैं।
  • राय प्रवीण महल : यह महल राय प्रवीण नामक एक कुशल नर्तकी हेतु बना था। यह महल भूमिगत है। कहा जाता है कि राजमहल एवं राय प्रवीण महल से ही भूमिगत मार्ग भी रहा है।
  • फूल बाग : यह सुंदर बगीचा है। जिसमें अनेक फव्वारे हैं। पौधों की सिंचाई उन्हीं से होती है। इसी परिसर में धार्मिक एवं निर्माण की दृष्टि से प्रसिद्ध हरदौल चबूतरा बना है तथा यहां पालकी के आकार का हरदौल निवास है। यह परिसर दर्शनीय है।
  • सुंदर महल : एक छोटा – सा जीर्ण स्थल है, जहां मुस्लिम यात्री दर्शन हेतु आते हैं। राजा के एक पुत्र ने मुस्लिम कन्या से विवाह किया था, जिसने बाद में अपना जीवन यहीं पर प्रार्थना, ध्यान में बिताकर एक संत के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त की।
  • श्री दिमान हरदौल जी महाराज महल : यह राजा वीर सिंह जूदेव के छोटे पुत्र थे और अपने बड़े भाई के समक्ष अपनी निष्पक्षता व पवित्रता को प्रमाणित करने हेतु अपने प्राणों का त्याग कर दिया। मृत्यु के पश्चात् इस राजकुमार को देवता की तरह पूजा जाता है। इसकी एक विशिष्ट छतरी फूल बाग में निर्मित है।
  • छतरियां : बेतवा नदी के किनारे अनेक छतरियां बनी हैं, जो पुरातात्त्विक रूप से दर्शनीय हैं। ये वास्तव में अनेक राजाओं के स्मारक हैं, जो जीर्ण – शीर्ण हालत में हैं।
  • शहीद स्मारक : अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद ने भी अज्ञातवास में यहां रह कर स्वतंत्रता आंदोलन हेतु ग्रामवासियों को उत्प्रेरित किया। यहां शहीद की मूर्ति की स्थापना तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा की गई।
  • अन्य स्थल : ओरछा में एक विराट कंटीला तथा पहाड़ी जंगल है, जिसके मध्य में सैकड़ों मंदिर, महल आदि दूर – दूर तक बिखरे हैं, जिनका जीर्णोद्धार अभी भी शेष है।

यात्रा मार्ग

झांसी रेलवे स्टेशन एक बड़ा जंक्शन है, जहां प्रत्येक ट्रेन रुकती है। यह स्टेशन मुंबई – दिल्ली, दिल्ली – चेन्नई मुख्य लाइन पर स्थित है। यहां से ओरछा मात्र 16 किलोमीटर दूर है।

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