पादांगुष्ठासन से बढ़ती है कामशक्ति

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पादांगुष्ठासन से कामशक्ति बढ़ती है।   

पादांगुष्ठासन करने की विधि-

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पांव की एड़ी को गुदा और अंडकोष के बीच में लगाकर उसी पर बैठे और दूसरा पांव घुटने पर रखिये। यही आसन पादांगुष्ठान आसन है। इसे कंद पीडनासन भी कहते हैं।

पादांगुष्ठासन के लाभ-

गुदा और अंडकोष के बीच में वीर्य की नाड़िया हैं। उनको एड़ी से दबाने से वीर्य का प्रवाह नीचे की ओर होना बंद हो जाता है। इसी से यह आसन वीर्य दोष नष्ट करने के लिए अत्यन्त उपयोगी माना जाता है।
स्त्रियों के लिए यह आसन वर्जित है। इस आसन से स्वप्न दोष भी नष्ट हो जाता है। इस आसन को एक मिनट से पांच मिनट तक करने का अभ्यास करना चाहिए। यह आसन अपेक्षित रूप से कठिन होता है, इसके नियमित अभ्यास से यह सिद्ध हो जाता है। यदि इस आसन को नियमित रूप से कर लिया जाए तो काम शक्ति पर इसका सकारात्मक प्रभाव दृष्टिगोचर होता है। यह आसन प्रात:काल करना ही श्रेष्ठ रहता है। जिन व्यक्तियों की काम शक्ति कमजोर है, या उपरोक्त समस्याएं हैं, वह इस आसन को नियमित रूप से करके इसका लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

प्रस्तुति – स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर (सेवानिवृत्त तहसीलदार/ विशेष मजिस्ट्रेट, हरदोई)

नोट: स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर के पिता स्वर्गीय पंडित भीमसेन नागर हाफिजाबाद जिला गुजरावाला पाकिस्तान में प्रख्यात वैद्य थे।

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