पद्मासन से पैरों के विकार दूर होते हैं। पैरों की नस-नाड़ियां बिल्कुल शुभ हो जाती है और पेट के सभी विकार दूर हो जाते हैं। पाचन शक्ति बढ़ती है। वात रोग भी दूर हो जाते हैं। स्मरण शक्ति बढ़ती है और विचारशीलता पर भी इसका अच्छा प्रभाव होता है।
पद्मासन की विधि-
पद्मासन करते समय पहले दाहिने पैर को बायीं जांघ पर सटाकर रखे और बायें पैर को दाहिनी जांघ पर सटा कर रखे। दोनों पैरों के तलुवे दोनों जांघों पर समान रूप से आ जाएं। इसके बाद अपने अपने दाहिने हाथ को दाये घुटने पर और बायें हाथ को बायें घुटने पर रखे। मेरूदण्ड यानी रीढ की हड्डी और सिर को समान रूप से सीधा करके बैठें। अपनी नेत्र दृष्टि को भौंहों के बीच या नासिका के अग्र भाग में स्थित रखे।
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प्रस्तुति – स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर (सेवानिवृत्त तहसीलदार/ विशेष मजिस्ट्रेट, हरदोई)
नोट: स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर के पिता स्वर्गीय पंडित भीमसेन नागर हाफिजाबाद जिला गुजरावाला पाकिस्तान में प्रख्यात वैद्य थे।