पद्मासन से सशक्त होता है शरीर व मस्तिष्क

1
1223

पद्मासन से शरीर व मस्तिष्क सशक्त होता है

पद्मासन करने की विधि-

यह आसन करते समय पहले दाहिने पैर को पायीं जांघ पर सटाकर कर रखिये। बायें पैर को दाहिनी जांघ पर सटाकर रखिये। दानों पैरों के तलुवे दोनों जंघाओं पर समान रूप से आ जाने चाहिए। इसके बाद अपने दाहिने हाथ को दाहिने घुटने पर और बाये हाथ को बांयें घुटने पर रखिये। मेरुदंड अर्थात रीढ़ और सिर को समान रूप से सीधा करके बैठें। अपनी नेत्र दृष्टि को भौंहों के बीच में अथवा नासिका के अग्रभाग पर स्थित कीजिए।

पद्यासन के लाभ-

इस आसन से पैरों की नस-नाड़ियां, बिल्कुल शुद्ध हो जाती हैं और पेट के विकार दूर होते हैं। पाचन शक्ति बढ़ जाती है। वात रोग दूर हो जाता है। मस्तिष्क की स्मरण शक्ति ठीक होने में सहायता मिलती है। इस विचार शक्ति में वृद्धि होती है।

Advertisment

कुल मिलाकर यह आसन शरीर और मस्तिष्क दोनों के लिए समान रूप से असरदायक होता है। इस आसन को नियमित रूप से करना श्रेयस्कर होता है। इससे शरीर स्वस्थ्य रहता है और मन सशक्त बनता है। विचारशीलता को बढ़ावा मिलता है। इस आसन को गर्भवती स्त्री को नहीं करना चाहिए। इसके दुष्परिणाम हो सकते हैं। यह आसन नियमित रूप से किया जाए तो साधक को इसका पूर्ण फल प्राप्त होता है, जोकि आसन को सिद्ध करने के लिए आवश्यक होता है। इसका नेत्र शक्ति पर भी सकारात्मक प्रभाव दृष्टिगोचर होता है और मन की स्थिरता बढ़ती है।

प्रस्तुति – स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर (सेवानिवृत्त तहसीलदार/ विशेष मजिस्ट्रेट, हरदोई)

नोट: स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर के पिता स्वर्गीय पंडित भीमसेन नागर हाफिजाबाद जिला गुजरावाला पाकिस्तान में प्रख्यात वैद्य थे।

सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here