pampa sarovar ( haasapet ): maata paarvateejee ne kee thee ghor tapasya, bhagavaan raam bhee yahaan aaye theपंपा सरोवर ( हासपेट ): पंपा सरोवर कोपल नगर में हंपी के पास कर्नाटक प्रांत में अवस्थित है। यह सरोवर तुंगभद्रा नदी के पार हासपेट से अन्नगुंदी ग्राम में पहाड़ी घाटियों में मतंग पर्वत पर स्थित है। यहां भगवान राम, लक्ष्मण व हनुमानजी से संबंधित अनेक स्थल हैं। सरोवर मतंग पर्वत के मध्य अवस्थित है और ऋषि तथा भगवान राम के वहां जाने से पवित्र सरोवर माना जाता है। इसमें स्नान करने से मुक्ति प्राप्त होती है। यह सरोवर कभी ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रहा हैं।
पंपा सरोवर ( हासपेट ) की धार्मिक कथा
रामायण की कथा के अनुसार शबरी नाम की प्रशिक्षु, ऋषि मतंग के आश्रम में निवास करती थी और वह भगवान राम की महान् भक्त थी और उनके दर्शन करना चाहती थी।
ऋषि भी भगवान राम के दर्शनाभिलासी थे, पर मृत्यु के कारण वे दर्शन से वंचित रह गए, पर शबरी ने प्रतिज्ञा की कि वह यहीं रह कर भगवान राम की प्रतीक्षा करेगी। अनेक वर्षों तक प्रतीक्षा करते – करते शबरी वृद्ध हो गई. पर अंत में भगवान राम अपने भ्राता लक्ष्मण के साथ पधारे और उसके समक्ष श्रद्धा से नतमस्तक हुए और सीता माता के संबंध में सभी तथ्यों से उसे अवगत कराया। तब शबरी ने उन्हें हनुमान, सुग्रीव व वानरों से सहायता लेने हेतु प्रेरित किया। ये सभी पंपा सरोवर के पास निवास करते थे। चूंकि भगवान राम यहां पधारे थे, अतः यह स्थान व सरोवर दोनों ही पवित्र हो गए। दूसरी कथा के अनुसार पंमा सरोवर के निकट पंपा के रूप में पार्वतीजी ने शिव की घोर तपस्या की थी, जिसके कारण भी यह सरोवर पवित्र हो गया।
पंपा सरोवर तीर्थस्थल का उल्लेख
- पंपासर : तुंगभद्रा नदी पार करने पर लगभग दो किलोमीटर जाने पर एक पर्वत पर पंपा सरोवर अवस्थित है। एक छोटा सरोवर है, जिसके पास अनेक जीर्ण मंदिर हैं। इन मंदिरों में एक में लक्ष्मी नारायण की मूर्तियां हैं। एक मंडप में भगवान राम के चरण – चिह्न हैं।
- शबरी गुफा: सरोवर के निकट ही एक गुफा है, जिसमें शबरी निवास करती थी और यहीं रह कर राम भक्ति किया करती थी।
- सप्तताल वेध : पर्वत की एक शिला पर भगवान राम के बाण रखने का चिह्न है।
- बालिवध स्थल : यहां शिलाएं सफेद हैं और ऐसी मान्यता है कि ये बालि की सफेद हड्डियां हैं।
- अंजनी पर्वत : सरोवर से कुछ दूर एक ऊंचा अंजनी पर्वत है, जहां एक गुफा में माता अंजनी की मूर्ति है। इस पर्वत पर अन्य छोटे – बड़े मंदिर व मूर्तियां भी स्थापित हैं।
यात्रा मार्ग
रेल मार्ग पर भी हॉसपेट स्टेशन है, जहां से वाहनों द्वारा ही इस सरोवर तक पहुंचा जाता है। बेंगलुरु , मैसूर व अन्य स्थानों से सीधा सड़क मार्ग से जुड़ा है।