पंच सरोवर में है नारायण सरोवर: सूखे क्षेत्र में बड़ा सरोवर, जागृत होती है श्रद्धा

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panch sarovar mein hai naaraayan sarovar: sookhe kshetr mein bada sarovar, jaagrt hotee hai shraddhaनारायण सरोवर’ का अर्थ है – ‘विष्णु का सरोवर’। सनातनधर्म के अनुसार भारत में स्थित पांच सरोवरों में नारायण सरोवर का उल्लेख आता है। विद्वानों के अनुसार ये कच्छ क्षेत्र में स्थित है और एक सूखे क्षेत्र में एक बड़े सरोवर का होना स्वयं ही आश्चर्यजनक है। इसी कारण यह पवित्र सरोवर माना गया है। मान्यता है कि सरोवर में स्नान करने से यात्री पवित्र हो जाते हैं और मन को शांति मिलती है और परमात्मा के प्रति श्रद्धा जाग्रत हो जाती है।

नारायण सरोवर की धार्मिक कथा

नारायण सरोवर की उत्पत्ति के संबंध में मतांतर है। अनेक विद्वानों का यह भी मत है कि नारायण सरोवर की स्थिति गुजरात के भुज क्षेत्र में है। ऐसी मान्यता है कि कच्छ के रन में स्थित इस सरोवर का निर्माण स्वयं भगवान नारायण ने प्रगट होकर अपने पांव के अंगूठे को धरती पर रख कर इस सरोवर को उत्पन्न किया  था। इस सरोवर हेतु प्रार्थना साधु संतों ने की थी। इसकी उत्पत्ति से सुखे क्षेत्र में जल का अभाव कुछ सीमा तक दूर हो गया था। चूंकि नारायण अर्थात्- विष्णुजी ने इस उत्पन्न किया था, अतः इसका नाम नारायण सरोवर पड़ा। कुछ विद्वानों का मानना है कि मूलतः नारायण सरोवर की स्थिति प्रमुख धाम बदरीनाथ के निकट है, जिसके पास शीतल तथा गर्म दोनों प्रकार के जलस्रोत उपलब्ध हैं।  पवित्र नारायण सरोवर की चर्चा श्रीमद्भागवत में मिलती है। इस ग्रंथ के चतुर्थ स्कंध में कहा गया है कि महाराजा पृथु की तीसरी पीढ़ी में राजा बर्हिष हुए। उनके पुत्र दसपचेतस् ने पुत्र प्राप्ति के लिए तपस्या करने का निर्णय लिया और वे नारायण सरोवर पहुंचे। यहां भगवान रुद्र ने प्रगट होकर दसपचेतस् को रुद्रगान सुनाया और मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद भी दिया। इसके बाद दसपचेतस् जल में खड़े होकर रुद्र जाप करने लगे। कहा जाता है कि उन्होंने 10 हजार वर्ष तक तप किया। इसके बाद भगवान प्रसन्न हुए और उनकी कामना पूरी हुई। कालक्रम में उनके घर दक्ष प्रजापति नाम से पुत्र का पदार्पण हुआ।

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पितृपक्ष में यहां श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ जाती है

नारायण सरोवर में श्रद्धालु अपने पितरों का श्राद्ध भी करते हैं। इसलिए पितृपक्ष में यहां श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ जाती है।

नारायण सरोवर के दर्शनीय स्थल

  •  आदिनारायण मंदिर: सुंदर मंदिर सरोवर के निकट ही है, जिसमें नारायण की प्रतिमा विराजमान है।
  • गोवर्धननाथ मंदिर: यह भी सरोवर के तट पर ही अवस्थित है।
  • टीकमजी कोटेश्वर मंदिर: यह एक सुंदर छोटा महादेव का नवीन मंदिर है, जो सरोवर के पास स्थित है।
  • वल्लभाचार्य बैठक: वल्लभाचार्य जी की बैठक का स्थल इसके पास ही स्थित है।
  • कोटेश्वर महादेव: सरोवर से तीन किलोमीटर दूर कोटेश्वर महादेव का प्राचीन दर्शनीय मंदिर है।

यात्रा मार्ग

भुज से इसकी दूरी 125 किलोमीटर है और रास्ता बहुत ही शुष्क है। यहां केवल दो बसें ही सुबह – शाम जाती हैं।

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