पीड़ित बोले-योगी है तो मुमकिन है
मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। उत्तर प्रदेश के माफियाओं की जेल में हत्या कोई नई बात नहीं है।यहां की सरकारों का चरित्र भी माफियाओं के प्रति नरम-गरम रहने को लेकर भी आरोप लगते रहे हैं। एक समय जो अपराधी सपा-बसपा सरकार में गुनाहों के साम्राज्य की बादशाहत किये वही 2017 में यूपी में भाजपा सरकार बनने के बाद न सिर्फ उखड़ने लगे बल्कि कई नामचीन गिरोह के माफियाओं की मौत के बाद सरकार प्रदेश को माफियामुक्त करने का दावा कर रही है।इस बीच यूपी की जेलों और पुलिस अधिरक्षा में मरने वाले गैंगस्टरों की संख्या ने रिकॉर्ड बना दिया। माफिया मुख्तार अंसारी का लाइट मशीन गन बरामद करने के बाद मुलायम सिंह सरकार का कोपभाजन बने पूर्व पुलिस उपाधीक्षक शैलेंद्र सिंह ने योगी के माफ़ियामुक्त अभियान की भूरि भूरि प्रसंसा किया है।
5 बार के विधायक रहा माफिया डॉन मुख्तार अंसारी यूपी का पहला माफिया या गैंगस्टर नहीं है जिसकी जेल में रहते हुए मौत हुई है। बागपत जेल में चाहे मुन्ना बजरंगी की हत्या हो या बीमारी के चलते जेल में ही एनआईए अफसर तंजीम के हत्यारोपी मुनीर की मौत और अंशू दीक्षित की मौत जेल में हुई। बता दें कि मुनीर को फांसी की सजा सुना दी गयी थी। जेल में बीमारी का इलाज न हो पाने के कारण बीएचयू में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी थी। परिजनों ने हत्या का आरोप लगाया लेकिन जेल अस्पताल ने इन्हें बीमारी से मरने की बात पर डंटा रहा। मथुरा जेल में गैंगवार में मारा गया गैंगस्टर राजेश टोटा हो या यूपी के अंबेडकर नगर के कुख्यात शूटर अमन सिंह जिसकी धनबाद जेल में ताबड़तोड़ 10 गोलियां मार कर हत्या कर दी गयी। कुख्यात बदमाश मुन्ना बजरंगी के लिए भाड़े पर हत्या करता था।
वह यूपी के अंबेडकर जिले के राजेसुल्तानपुर थाना क्षेत्र के जगदीशपुर कादीपुर गांव का रहने वाला था। मजे की बात यह है कि अमन के हत्या की जिम्मेदारी उसके करीबी आशीष रंजन और छोटू ने ली। मुन्ना बजरंगी स्वयं मुख्तार अंसारी का शूटर था। जो कृष्णानंद राय की हत्या में चर्चित हुआ था। इसी तरह बिहार में आतंक का प्रयाय रहे बिहार में सीवान से सांसद रहे बाहुबली शाहबुद्दीन की मौत हुई थी। जिनके परिजन आज भी उसकी बीमारी से मौत मानने को तैयार नहीं हैं। कोरोना काल हुई मौत के कारण शहाबुद्दीन की मिट्टी में मुख्तार अंसारी की तरह भीड़ नहीं हो पायी थी। करीब 6 साल पहले गैंगस्टर मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में ही हत्या कर दी गई थी। उसकी हत्या पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर सुनील राठी ने कर दी थी।14 मई 2021 को मुख्तार अंसारी के करीबी मेराज, माफिया मुकीम काला, अंडरवर्ल्ड जफर सुपारी के भाई खान मुबारक और आंशू दीक्षित की चित्रकूट जेल में गैंगवार के दौरान मौत हो गई थी। इसी तरह साल 2015 में मथुरा की जेल में बंद गैगस्टर रोजेश टोटा की गैंगवार में हत्या कर दी गई थी।
उत्तर प्रदेश में पुलिस अधिरक्षा में हुई मौतों ने तो माफियाओं की कमर तो तोड़ दी लेकिन उत्तर प्रदेश पुलिस की रसूख पर सवाल भी खड़ा किया। अभिरक्षा में विकास दुबे बिकरु वाले कि मौत हुई। पुलिस ने उसका काउंटर किया। पिछले वर्ष प्रयागराज में 15 अप्रैल को माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके भाई असरफ की उस वक्त गोली मारकर हत्या कर दी गई थी जब वो पुलिस अभिरक्षा में मेडिकल जांच के लिए जा रहे थे। प्रयागराज के अस्पताल परिसर में ही दोनों को गोलियों से छलनी कर दिया गया था। उमेश पाल हत्याकांड के मामले में पुलिस ने दोनों को जेल से ही रिमांड पर लेकर आई थी। पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कोर्ट परिसर के अंदर पेशी पर आये गैंगस्टर जीवा को वकील के वेश में आये शूटरों ने 5 मिनट के अंदर ढेर कर दिया। जून 2021 में मादक द्रव्यों के साथ पकड़े जाने के आरोप में मुजफ्फरनगर जेल में बंद साजिद के मेरठ जेल में रविवार को आत्महत्या की सूचना मिली थी। परिजनों ने जेल में उसकी हत्या का आरोप लगा कर मुआवजा की मांग की थी।
इस संदर्भ में नाम न छापने की शर्त पर एक पूर्व पत्रकार व वर्तमान में एनजीओ चलाने वाले समाजसेवी ने कहा कि मुख्तार अंसारी की मौत के बाद पूर्व विधायक कृष्णानंद राय के परिजनों ने भगवान गोरखनाथ की कृपा बताया था। कानपुर देहात के बिकरुकांड के माफिया विकास दूबे की मौत के बाद शहीद पुलिस अधिकारी और जवानों के परिजनों ने कहा था कि योगी हैं तो मुमकिन है। बता दें कि जितनी माफियाओं की मौतें योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में हुई उतनी किसी सरकार के कार्यकाल में नहीं हुई। कुछ सरकारों के मुखिया माफियाओं के कुत्तों से हाथ मिलाते थे। या पुलिस अधिकारियों का मनोबल तोड़ते थे।धीरे-धीरे सभी अपराधियों का खात्मा हो रहा है। मुझे विश्वास है कि योगी जी के रहते यूपी में किसी नये गैंग का जन्म नहीं हो पायेगा।