panjaasaahib : paakistaan ke raavalapindee meinसिक्खों का प्रसिद्ध गुरुद्वारा पंजासाहिब पाकिस्तान के रावलपिंडी नगर से आगे अटोक जाने के रास्ते में स्थित है, जहां बड़ा गुरुद्वारा तथा लंगर और सरोवर है।अब पाकिस्तान में स्थित होने के कारण प्रत्येक वर्ष बैसाखी पर्व पर भारत से श्रद्धालु – जन विशेष अनुमति ( वीजा ) प्राप्त कर वहां की यात्रा करते हैं।
ऐसी कथा है कि गुरुनानक अपने परम शिष्य मरदाना के साथ यात्रा में निकले थे। रास्ते में मरदाना को प्यास लगी, गुरुजी ने वहां पहाड़ी पर बैठे फकीर बाबा वाली कांधारी के पास पानी के लिए भेजा। कहते हैं, बाबा कांधारी ने दो बार पानी देने से इंकार कर दिया। इस पर गुरुजी ने तीसरी बार मरदाना को बाबा के पास भेजा। तीसरी बार भी बाबा द्वारा इंकार करने पर गुरुजी ने मरदाना की प्यास बुझाने के लिए पहाड़ी के नीचे अपना डंडा पटका और वहां साफ जल का सोता फूट पड़ा। उधर बाबा कांधारी का कुआं सूखता चला गया। इस पर कुपित होकर बाबा ने एक भारी चट्टान मरदाना पर लुढ़का दी। गुरुजी ने उस चट्टान को अपने पंजे से रोक दिया।
यही पंजा साहिब सरोवर बन गया, जहां गुरुजी के पंजे का निशान मौजूद है। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित इस गुरुद्वारे में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है और यात्रीगण सरोवर का पानी अपने साथ ले जाते हैं। बैसाखी पर्व ( 13 अप्रैल ) को यहां प्रतिवर्ष बड़ा भारी मेला लगता है। उस समय सभी समुदाय के लोग पंजासाहिब की यात्रा करते हैं। पंजासाहिब तीर्थ में पहुंचने के लिए बाघा बॉर्डर से रावलपिंडी तक रेल या सड़क मार्ग से यात्रा की जाती है। पंजासाहिब में मुसाफिरों के ठहरने की अच्छी सुविधाएं हैं।