पपीता ( PAPAYA ) किस- किस रोग में लाभदायक
पपीता गुणों का खजाना है, जिससे सेहत को अनेक फायदे मिल सकते हैं। नेशनल सेंटर फॉर बायो टेक्नोलॉजी इंफार्मेशन द्वारा प्रकाशित एक शोध के अनुसार, पपीते के अर्क और अन्य भागों में मौजूद पॉलीफेनोल्स में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। ये ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करके स्वास्थ्य को बनाए रखने और बीमारियों को रोकने में मदद कर सकते हैं।होम्योपैथी में पपीता से बनी औषधि केरिका पपाया नाम से प्रयोग की जाती हैं। पपीता भोजन के पहले खाना चाहिए। पाचन संस्थान के रोगों में पपीता खाना उपयोगी है।
पपीता खाने का समय- प्रातः पपीता खाना अधिक लाभदायक है। इससे भूख अच्छी लगती है, कब्ज़ दूर होती है। दोपहर में खाना खाने के बाद पपीता खाने से भोजन का पाचन अच्छा होता है। शाम को भी भूख लगी हो तो पपीता खायें। पपीता नित्य खाने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है। पपीते का सेवन बुढ़ापे में शक्ति बनाये रखता है, बुढ़ापे की दुर्बलताओं को रोकता है। पोषक तत्वों की दृष्टि से पपीते में 0.6 % प्रोटीन तथा 0.5 % खनिज पाये जाते हैं। पपीते में विटामिन ‘ ए ‘ की मात्रा सेब, अंगूर, लीची, अनार से 20 गुणा से भी अधिक होती है। इसके अलावा विटामिन, थायोमिन, राइबोफ्लोविन तथा नियासिन भी इसमें पाये जाते हैं। इसके फलों में एक प्रकार का एन्जाइम पाया जाता है, जिसे ‘ पपेन ‘ कहते हैं, जो प्रोटीन के पाचन में सहायक होता है। पपेन का उपयोग दवा के रूप में किया जाता है। औषधियों के दुष्प्रभाव, जो अत्यधिक औषधियाँ खाने, निरन्तर दवाइयाँ लेते रहने से उत्पन्न होते हैं, पपीता खाने से दूर हो जाते हैं। डिप्थीरिया ( Diptheria ) – टेपवर्म होने पर पका हुआ पपीता खाना लाभदायक है। कैंसर व टी.बी. रोग में पपीता खाना लाभदायक है।
मूत्रल — पपीता खाने से पेशाब अधिक आता है जहाँ पेशाब अधिक लाना हो, पपीता खिलायें।
उच्च रक्तचाप ( High Blood Pressure )- नित्य प्रातः भूखे पेट चार फाँक ( 250 ) ग्राम ) पका हुआ पपीता दो – तीन महीने खाते रहें। उच्च रक्तचाप ठीक हो जायेगा।
वात — जोड़ों के दर्द के रोगी पपीता नित्य खायें। यह वातदर्द का शमन करता है।
मुँहासे, बवासीर ( Piles ) — हर प्रकार के बवासीर और मुँहासों में पका हुआ पपीता। नित्य प्रातः भूखे पेट एक माह तक खाने से लाभ होता है।
दम घुटना – उद्योग, यातायात में डीजल आदि के धुएँ से वायु मण्डल दूषित होता है। साँस लेने में दम घुटता है। पपीते के ताजा बीज रूमाल में रखकर सूँघते हुए यात्रा करें। ताजा बीज नहीं हों तो सूखे बीज पानी में भिगोकर काम में लें। पपीता खायें। पपीता प्रदूषण के दुष्प्रभावों से बचाता है।
पुत्रोत्पत्ति – रूसी वैज्ञानिकों के अनुसार पपीते में प्लेटिनम होता है जो पुत्र उत्पन्न कर के जीन बढ़ाता है। पुत्र चाहने वाले दम्पत्ति पपीता खायें। पति गर्भाधान के तीन माह पहले से ही 200 ग्राम पपीता नित्य खायें। पत्नी गर्भाधान के बाद तीन माह नित्य 100 ग्राम पपीता खायें। इससे अधिक नहीं खायें। पति, पत्नी दोनों ही इस अवधि में मीठा नहीं खायें। मिठाई का परहेज रखें। बछड़े वाली लाल गाय का दूध तीन माह पियें। लाल या काली साड़ी पहनें और कमर पर नित्य धूप डालें। इससे 92 % पुत्र जन्म की सम्भावना होती है।
मासिक धर्म- अनियमित है, बन्द है, देर से या जल्दी आता है, मासिक स्राव में दर्द होता है तो पपीते के सूखे बीज पीसकर आधा – आधा चम्मच सुबह – शाम गर्म पानी के साथ फंकी मासिक स्राव आने के एक सप्ताह पहले से आरम्भ करके मासिक धर्म का स्राव बन्द होने तक दो – तीन महीने लेते रहने से मासिक धर्म के दोष दूर होकर मासिक धर्म ठीक आने लगता है। नित्य कच्चे पपीते की सब्जी खाने से मासिक धर्म नियमित आने लगेगा।
गर्भपात- दक्षिण भारत की औरतों का विश्वास है कि पपीते में गर्भ गिराने के शक्तिशाली गुण हैं। गर्भावस्था में पपीता खाते समय सावधान रहना चाहिए।
अपच, अम्लपित्त, प्लीहा ( Spleen ) बढ़ जाये तो खाली पेट पका हुआ पपीता स्वाद के लिए कालीमिर्च, काला नमक, सेंधा नमक डालकर कुछ सप्ताह खायें। पेट के रोगों में लाभ होगा।
गर्मी दूर करना — पके हुए पपीते के गूदे को मथकर दूध में घोल लें। इसमें स्वाद के अनुसार चीनी मिलायें और पियें। इससे गर्मी दूर होती है।
कब्ज़ – प्रातः पपीता खाकर दूध पीने से कब्ज़ दूर होता है। कब्ज़, अजीर्ण और रक्तस्रावी बवासीर में पका हुआ पपीता लाभदायक है। पपीता भूखे पेट खायें। कृमि – पपीते के दस बीज पानी में पीसकर चौथाई कप पानी में मिलाकर पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। यह नित्य सात दिन ले।
पथरी — पपीते के पेड़ की जड़ को छाया में सुखाकर छोटे – छोटे टुकड़े कर पीस लें। इसकी दो चम्मच रात को आधा गिलास पानी में भिगो दें। प्रातः छानकर उस पानी को पी जायें। 21 दिन में पेशाब के साथ पथरी बाहर आ जायेगी।
दूध वृद्धि- कच्चे पपीते की सब्जी खाने से स्तनों में दूध की वृद्धि होती है। पका हुआ पपीता खाने से भी दूध बढ़ता है पपीता खाकर गर्म दूध पियें। इससे स्तनों का भी विकास होगा। तिल्ली व पीलिया में नियमित पपीता खाने से लाभ होता है।
लकवा ( Paralysis )- पपीते के सूखे बीज 50 ग्राम पीसकर तिल का तेल 50 ग्राम में मिलाकर, उबालकर, छानकर इस तेल की लकवाग्रस्त अंगों पर मालिश करने से लाभ होता है।
यकृत ( Liver ) पपीता पेट साफ करता है। यकृत को ताकत देता है। छोटे बच्चे जिनका यकृत खराब रहता है, उन्हें पपीता खिलाना चाहिए। बिस्कुट नहीं देना चाहिए। पेट के रोगों के लिए पपीता अच्छा है।
खाज, दाद व बिच्छू काटने पर – पपीते का दूध लगाने से लाभ होता है।
दस्त – कच्चा पपीता उबालकर खाने से पुराने दस्त ठीक हो जाते हैं।
कमर का सौंदर्य – लम्बे समय तक नित्य पपीता खाने से कमर का सौंदर्य बढ़ता है।
चेहरे का सौंदर्य – पके हुए पपीते का गूदा कुछ सप्ताह चेहरे पर मलने से झाँइयाँ व मुँहासे साफ हो जाते हैं।
मुख -सौंदर्य – आधा पका पपीता पीसकर चेहरे पर नित्य लेप करके एक घण्टे बाद धोयें। प्रातः भूखे पेट पपीता जायें। कील, मुँहासे, झुर्रियाँ दूर होकर चेहरा सुन्दर हो जायेगा। ऐसा दो माह करें।
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