वेद विचार
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हमारा परमात्मा आनंद रस का अजस्र स्रोत है। वह अपने उपासकों के काम, क्रोध आदि शत्रुओं को विनष्ट करता है और उन्हें पवित्र करता है।
परमात्मा हमें श्रेष्ठ ज्ञानवान बुद्धि और सत्य शुभ कर्मों को प्राप्त कराने के साथ सुख व आनंद प्रदान करता है। परमात्मा हमें दिव्य गुणों की प्राप्ति व उनके धारण की प्रेरणा स्वाध्याय व साधना करने पर करते हैं।
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परमात्मा की प्रेरणा एवं कृपा से अदिव्य गुण वाले हम मनुष्य भी दिव्य गुणों से युक्त हो जाते हैं और श्रेष्ठ कर्मों की पूंजी अर्जित कर लोक परलोक में सुख पाते हैं।
-प्रस्तुतकर्ता मनमोहन आर्य
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