हरिद्वार। उत्तराखंड के हरिद्वार में स्थित पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रांगण में मृदा परीक्षण मशीन ‘धरती का डॉक्टर’ को भारतीय कृषि अुनसंधान परिषद (आईसीएआर) के केन्द्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के द्वारा प्रमाणन-पत्र प्रदान किया गया।
इस अवसर पर पतंजलि योगपीठ के अध्यक्ष स्वामी रामदेव ने बताया कि धरती का डॉक्टर एक अत्याधुनिक मृदा परीक्षण मशीन है जिससे मृदा की सटीक जाँच परीणाम कम लागत एवं कम समय में प्राप्त किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि रसायनों के अंधाधुंध प्रयोग से हमारी अन्न व औषधि प्रदाता कृषि भूमि प्रदूषित व बंजर हो रही है जिसको समय पर मशीन के द्वारा जाँच कर सुधारा जा सकता है। हम किसानों की आय को दोगुना करने हेतु संकल्पित हैं जिसमें यह मृदा परीक्षण मशीन अत्यंत सहायक सिद्ध होगी।
भरूआ एग्री साइंस के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण जी ने बताया कि ‘धरती का डॉक्टर’ मृदा परीक्षण मशीन के द्वारा मृदा स्वास्थ्य के 12 आवश्यक मानकों का परीक्षण किया जाता है जिसमें मुख्य पोषक तत्व उपलब्ध नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटाश एवं गौण पोषक तत्व बोरॉन, आयरन, जिंक, कॉपर एवं मैंगनीज सम्मिलित हैं। इस मशीन को भारत सरकार द्वारा पेटेंट तथा सीई-सर्टिफिकेट प्राप्त है। उन्होंने कहा कि इस मशीन को पतंजलि के वैज्ञानिकों द्वारा वर्षों के व्यापक शोध के बाद विकसित किया गया है जो किसानों के लिए वरदान है जो सर्वोत्तम संभव समाधान प्रदान करती है।
आचार्य जी ने बताया कि यह मशीन उपयोग में बहुत ही सरल है। इसके द्वारा फसलानुसार उर्वक संस्तुतियाँ रासायनिक, जैविक एवं मिश्रित तीनों प्रकार से प्राप्त की जा सकती हैं।
केन्द्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. राजेन्द्र कुमार यादव ने कहा कि धरती का डॉक्टर देश के किसानों तथा भारत सरकार की मृदा स्वास्थ्य योजना के लिए बड़ी उपयोगी मशीन साबित होगी। उन्होंने कहा कि हमारा स्वास्थ्य धरती के स्वास्थ्य के साथ जुड़ा है। मृदा स्वास्थ्य के लिए 12 पैरामीटर्स हैं जिनके आधार पर मिट्टी की गुणवत्ता निर्धारित की जाती है। हमारी टीम ने इस मशीन पर गहन परीक्षण किया जिसमें पाया गया कि यह देश की ऐसी पहली मशीन है जिसके द्वारा सभी 12 पैरामीटर्स की सटीक जाँच की जा सकती है।
इस अवसर पर केन्द्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक एवं विभागाध्यक्ष डॉ. अरविन्द कुमार राय एवं पतंजलि संस्थान की ओर से डॉ. अशोक कुमार मेहता, भरूआ एग्री साइंस के निदेशक डॉ. ऋषि कुमार के साथ प्रमुख वैज्ञानिक विक्रांत वर्मा, हेमंत त्यागी एवं डॉ. आशुतोष गुप्ता आदि उपस्थित थे।