क्रोध- नाश्ता करते समय नीबू पानी पीने से क्रोध आना शान्त हो जाता है। संक्रामक रोग नीबू की सुगन्ध से संक्रामक कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। दुर्गन्ध उत्पन्न होने वाले रोगों में नीबू सूँघने से बचाव होता है।
पानी के रोग — गंदा पानी पीने से यकृत, टाइफाइड, दस्त, पेट के रोग हो जाते हैं। यदि शुद्ध पानी नहीं मिले, नदी, तालाब में इकट्ठा किया हुआ पानी हो तो पानी में निचोड़कर पियें। पानी में नीबू निचोड़कर पीने से पानी के रोग, गन्दगी आदि से होने वाले रोगों से बचाव होता है। नीबू के छिलकों को रगड़ने से बदबू दूर हो जाती है।
पथरी– नीबू में सेंधा नमक भरकर पहले दो मिनट सूँघें फिर चूसें। पथरी के दर्द में लाभ होगा। लम्बे समय तक यह प्रयोग करने से पथरी पिघल जायेगी। पसीना- नीबू के पत्ते पीसकर शरीर पर मलें, पसीने में दुर्गन्ध नहीं आएगी।
रोग निरोधक शक्ति – वर्षा तथा शीत ऋतु में तो नीबू का प्रयोग करना बहुत उत्तम रहता है, क्योंकि नीबू शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करके इन मौसम में शारीरिक स्वास्थ्य की रक्षा करता है।
सम्पन्नता— नीबू का पेड़ अपने घर के दरवाजे के सामने लगायें। इससे सम्पन्नता बढ़ती है, ऐसी मान्यता है। जगह के अभाव में प्लास्टिक का कृत्रिम नीबू का पेड़ रखकर इस शुभ कार्य को करें।