pet ke keede va esiditee ka turant ilaaj
पेट के कीड़े
( 1 ) यदि पेट में कृमि उत्पन्न हो गए हों तो नीबू के बीजों को पीसकर चूर्ण बना लें और पानी के साथ लें। इससे पेट के कृमि नष्ट हो जायेंगे।
मात्रा — बड़ों के लिए 1 से ३ ग्राम, बच्चो के लिए इसकी चौथाई। भूखे पेट नीबू पानी भी पियें।
( 2 ) नीबू + शहद + पानी मिलाकर नित्य 15 दिन पीने से कृमि नष्ट हो जाते हैं।
अम्लपित्त
( 1 ) नीबू अम्ल का नाश करने वाला है। नीबू का रस गर्म पानी में डालकर सायंकाल पीने से अम्लपित्त नष्ट हो जाता है।
मात्रा – एक कप गर्म पानी, एक चम्मच नीबू का रस एक – एक घण्टे से तीन बार लें।
( 2 ) खाना खाने के बाद एक कप पानी में आधा नीबू, जरा – सा खाने का सोडा मिलाकर प्रतिदिन दो बार पियें।
( 3 ) दो कप ठण्डे पानी में ½ नीबू निचोड़कर नित्य दो बार पीने से घबराहट और सीने की जलन में लाभ होता है।
( 4 ) दोपहर में भोजन से आधा घण्टा पहले नीबू की मीठी शिकञ्जी दो महीने पियें। खाने के बाद नहीं पियें।
( 5 ) तीव्र अम्लता अर्थात् एसिडिटी के पुराने रोगियों को ताजा नीबू पानी में निचोड़कर पीना चाहिये।
( 6 ) दो चम्मच शहद में नीबू का एक चम्मच रस मिलाकर चाटने से अम्लपित्त में लाभ होता है। नीबू में एस्कार्बिक अम्ल पाया जाता है, पर यह शरीर में सोडियम लवणों के सांद्रण को कम करता है जिसके कारण मनुष्य की आत्र में उत्पन्न होने वाला नमक का अम्ल अर्थात् हाइड्रोक्लोरिक अम्ल शांत रहता है तथा अम्लता धीरे – धीरे कम होती है।
डॉ. अल्बर्ट ने अपनी पुस्तक फूट्स फॉर हैल्थ’ में लिखा है कि लोग भ्रमवश नाबू के रस को अम्लीय समझते हैं। इस भूल के फलस्वरूप इसके औषधीय गुणों को पहचानकर अम्लपित्त में नीबू का सेवन नहीं करते। नीबू में पाया जाने वाला पोटेशियम अस्त-विष को नष्ट करता है।
सावधानी – पैर के जोड़ों में दर्द, गले के टॉन्सिल, पेट में घाव ( Ulcer ) के रोगी को नीबू नहीं देना चाहिए। ऐसे लोग भी सावधानीपूर्वक नीबू के प्रयोग करें जिन्हें नीबू के प्रयोग से चक्कर आते हैं या निम्न रक्तचाप ( Low Blood Pressure ) हो जाता है।