तुलसी का भारत में बहुत महत्व है। इसका धार्मिक महत्व भी है। साथ ही आयुर्वेद में इसकी महिमा का गान किया गया है। उदर के रोगों के उपचार में तुलसी बहुत ही कारगर रहती है। तुलसी का उपयोग सरल भी है और प्रभावी भी है। तुलसी के सूख्ो पत्तों का चूर्ण एक माशा, ईसबगोल तीन माशा मिलाकर दही के साथ सेवन करने से पतले दस्तों में लाभ पहुंचता है। तुलसी और सहजने के पत्तों को छटांक भर रस में सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से मंदाग्नि मिटकर दस्त साफ होते हैं।
सूख्ो तुलसी के पत्तों, सौंठ और गुड़ मिलाकर बड़ी-बड़ी गोलियां बना लें, फिर इसका प्रतिदिन सेवन करें, इससे दस्तों में लाभ होगा। तुलसी के ताजा पत्तों का रस एक तोला प्रतिदिन सेवन करने से अजीर्ण दूर होता है। तुलसी के पंचांग का काढ़ा बनाकर पीने से दस्तों में आराम होता है। पाचन शक्ति भी बढ़ती है।
इस काढ़े में एक दो रत्ती जायफल का चूर्ण मिलाकर पीने से दस्तों की कठिन बीमारी में अतिशीघ्र लाभ होता है। तुलसी और अदरक का रस एक-एक चम्मन मिलाकर दिन में तीन बार पीने से पेट दर्द में फायदा होता है। तुलसी के ग्यारह पत्ते लेकर एक माशा बायबिडंग के साथ पीस लो, इसको सुबह-शाम ताजा पानी के साथ सेवन करने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।