जिन्हें हम शकुन या अपशकुन मानने है, वह वास्तव में प्रभावहीन होते हैं। आइयें, जानते हैं, वह कौन से संकेत हैं, जिन्हें प्रभावहीन माना जाए, अर्थात उन्हें न तो शकुन माना जाए और न ही अपशकुन। इसे लेकर जो भ्रम हैं, उन्हें हम दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। उम्मीद है आपके लिए ये मददगार साबित होगा। आइये जाने इनके बारे में संक्ष्ोप में-
1- कोई पशु-पक्षी या मानव जब प्राकृतिक रूप से चेष्टा करता है, तभी शकुन या अपशकुन की श्रेणी में आता है। प्रत्यत्न पूर्वक किया गया कोई भी कार्य शकुन या अपशकुन रूप न समझें।
2- खाने के लिए उद्यत जीव का शकुन न माने। जिसे प्रभावहीन माना जाए, अर्थात उन्हें शकुन न माना जाए।
3- यदि कोई व्यक्ति गधा-गधी को मैथुनरत देखता है तो उसे अपनी इच्छानुसार फल प्राप्त होता है।
4- खाली घड़ा अशुभ माना जाता है, लेकिन यह पीछे हो तो अशुभता का नाश करता है।
5- रोग आदि या भय से जीव के चिल्लाने को शकुन या अपशकुन न मानें।
6- कोई भीड़ कहीं जा रही हो तो अशुभ शकुन का प्रभाव उस भीड़ के मुख्य व्यक्ति पर ही पड़ता है, श्ोष जन अशुभता को प्रभावहीन समझें।
7- घर आदि का निर्माण करने के लिए तिनका ले जाते जीव का शकुन न माना जाए।
8- विश्राम कर रहे जीव का शकुन न मानें।
9- किसी एक छींक के बाद दूसरा भी छींके या कई लोग छींके के शकुन को प्रभावहीन समझें।
1०- समीप के शकुन ही अपना प्रभाव प्रकट करते हैं, अत: दूर का शकुन व्यर्थ ही माने।
11- ठंड के लगने पर छींके हो तो प्रभावहीन मानें।
12- नदी, नहर या तालाब के पार का शकुन न मानें।
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