प्रमेह या गोनोरिया बीमारी का अचूक आयुर्वेदिक उपचार, होगा लाभ

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प्रमेह बीमारी यौन सम्बन्धों के कारण सबसे ज्यादा फैलती है। यह बीमारी जीवाणु के संक्रमण से फैलती है। इसके जीवाणु मुंह, गला, आंख और गुदा में भी बढ़ते हैं। प्रमेह शिश्न, योनि, मुंह या गुदा के संपर्क से फैल सकता है।
प्रमेह यानी गोनोरिया एक यौन रोग है। गोनोरिया नीसेरिया गानोरिआ नामक जीवाणु की वजह से होती है। ये बीमारी महिलाओं और पुरुषों के प्रजनन मार्ग के गर्म और गीले क्षेत्र में आसानी से बढ़ती है। गोनोरिया प्रसव के दौरान मां से बच्चे को भी लग सकती है।
किसी भी यौन सक्रिय व्यक्ति में गोनोरिया की बीमारी हो सकती है, जबकि आमतौर पर पुरुषों में गोनोरिया के कोई लक्षण दिखाई नहीं पड़ते हैं और कुछ पुरुषों में संक्रमण के बाद पांच दिनों के भीतर कुछ संकेत या लक्षण दिखाई पड़ते हैं। कभी कभी तो लक्षण दिखाई देने में 3० दिन भी लग जाते हैं। इनके लक्षण हैं- पेशाब करते समय जलन, लिग से सफ़ेद, पीला या हरा स्राव। कभी-कभी गोनोरिया वाले व्यक्ति को अंडग्रंथि में दर्द होता है अथवा वह सूज जाता है। महिलाओं में गोनोरिया के लक्षण काफी कम होते हैं। शुरुआत में महिला को पेशाब करते समय दर्द या जलन होती है, योनि से अधिक मात्रा में स्राव निकलता है या मासिक धर्म के बीच योनि से खून निकलता है।

प्रमेह बीमारी का आयुर्वेदिक उपचार 

1- आम वृक्ष की त्वचा यानी छाल कूटकर कपड़े से छानकर रख लें और प्रतिदिन छह-छह माशा पानी के साथ एक माह तक सेवन करें।
या
आम के कोमल पत्ते पीसकर प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन पानी के साथ करें। इससे प्रमेह में लाभ होता है।

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2- हरी गिलोय के रस में शहद मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम लेते रहे। लाभ होगा।
3 – शहतूत के हरे पत्ते पीसकर प्रतिदिन पीते रहे।
4 – आम के कोमल पत्ते या आम की गुठली का गूदा छाया में सुखाकर पीस प्रतिदिन प्रयोग करें
5 – जामुन के पत्ते या गुठली के गूदे को सुखकर पीकर प्रतिदन प्रयोग करे।

प्रमेह की अन्य प्रभावी औषधियां

हल्दी , तालमखाना , मूसली , गोखरू बड़ा , शतावर – इन पाँचो चीजों का चूर्ण बना लें । 3 माशा चूर्ण को गाय के धारोष्ण दूध के साथ लेना चाहिए।  इससे प्रमेह में लाभ होता है। इसके आलावा जौ की रोटी खाये, इससे प्रमेह में लाभ होता है। हरी गिलोय का रस 1 तोला , 3 माशा शहद में मिलाकर चाटें । इससे प्रमेह में लाभ होता है। शुद्ध शिलाजीत 1 माशा लेकर दूध के साथ सेवन करें । इससे प्रमेह में लाभ होता है। बबूल की कोंपल , शीशम की कोपल , शंखपुष्पी – ये चारों चीजें मिलाकर 2 तोला लें । पाव भर पानी में ठंढाई की तरह घोंटकर मिश्री मिलाकर पीवें । इससे प्रमेह में लाभ होता है। सालभ मिश्री , शीतल चीनी , दालचीनी , कोंच के बीज , मूसली सफेद , मूसली स्याह , तवाखीर , छोटी इलाइची , खिरेंटी आँवला , बिदारीकंद , मुलहठी – इनका चूर्ण 3 मासे एक दूध के साथ लें । इससे प्रमेह में लाभ होता है। बड़ का दूध 10 बूंद एक बतासे में रखकर सुबह खायें । इससे प्रमेह में लाभ होता है। गूलर के कच्चे फल छाया में सुखाकर पीस लें , बराबर मिश्री मिलाकर ताजे जल के साथ एक तोले लें । इससे प्रमेह में लाभ होता है। कतीरा , ढाक का गोंद , बबूल का गोंद , सेमल का गोंद , लालवंती के बीच , बंशलोचन , ईसबगोल की भूसी , चिकनी सुपाड़ी इन्हें पीसकर चूर्ण बना लें । सेवन करें, इससे प्रमेह में लाभ होता है।

प्रस्तुति

स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर

सेवानिवृत्त तहसीलदार/ विशेष मजिस्ट्रेट, हरदोई

नोट:स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर के पिता स्वर्गीय पंडित भीमसेन नागर हाफिजाबाद जिला गुजरावाला पाकिस्तान में प्रख्यात वैद्य थे।

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