नई दिल्ली। विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने कहा कि पालघर में जिन साधुओं की हत्या हुई है वे दोनों जूना अखाड़े के थे। जूना अखाड़े के आराध्य देव दत्तात्रेय हैं और महाराष्ट्र में भगवान दत्तात्रेय के उपासक ज्यादा हैं। इसलिए महाराष्ट्र के लोगों को आगे आना चाहिए कि भगवान दत्तात्रेय का एक मंदिर बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि जन्मभूमि पर राममंदिर का निर्माण कोई सामान्य मंदिर का निर्माण नहीं है बल्कि यह हमारे देश का स्वाभिमान है।
चम्पत राय ने सोमवार को फेसबुक लाइव के जरिए कहा कि श्रीराम जन्मभूमि की यह लड़ाई करीब 490 वर्षों तक चली। हम हार मानने वाले लोग नहीं हैं। अयोध्या बहुत छोटा सा स्थान है। वहां भगवान राम के उपासक ज्यादा रहते हैं। अयोध्या का साधु और यहां का समाज कभी हिम्मत नहीं हारा। यह हिम्मत न हारने की शक्ति ही है जिसने मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया है। यही शक्ति हमें कोरोना महामारी पर भी विजयश्री दिलाएगी। उन्होंने कहा कि जन्मभूमि के लिए 1528 से शुरू हुई इस लड़ाई में किसी राज्यसत्ता का सहयोग नहीं रहा। यहां तक कि स्वतंत्र भारत में भी लड़ना पड़ा। यह लड़ाई समाज के लोगों ने अपने बल पर लड़ी और जीती। यह अनुकरणीय है।
उन्होंने कहा कि दुनिया को यह जानकर आश्चर्य होगा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे दाऊदयाल खन्ना ने वर्ष 1984 में रामजन्मभूमि का विषय विहिप के समक्ष रखा। खन्नाजी उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे। उन्होंने इस विषय का बहुत गहन अध्ययन किया था।
विहिप उपाध्यक्ष ने कहा कि जहां पर भगवान अपने जन्मस्थान पर बैठे थे वहां सरकार ने ताला लगा दिया। लोहे की सलाखों का दरवाजा था। 24 घंटे में आधा घंटा सुबह और शाम मंदिर खुलता था। इस प्रकार 23 घंटे दरवाजा बंद रहता था। इस परिस्थिति में हमारा पहला यही लक्ष्य था कि रामलला को पहले ताले से मुक्त करो। यह लड़ाई चली और यह समाज के लोगों की हार न मानने की शक्ति ही है जिसने हमें विजयश्री दिलायी।
उन्होंने कहा कि जन्मभूमि पर मंदिर का पुनर्निमाण 1528 की गलतियों का परिमार्जन है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से देशभर में गुलामी के कई प्रतीक चिह्न हटाए गए। कुछ शहरों के नाम भी बदले गए। कुछ अस्पतालों के भी नाम बदले। विक्टोरिया की मूर्तियां हटाई गयीं। दिल्ली में 1975 के बाद इर्विन हास्पीटल का नाम बदलकर जयप्रकाश नारायण अस्पताल कर दिया गया। दिल्ली का मिंटो ब्रिज शिवाजी ब्रिज नाम से जाना जाने लगा है। उन्होंने कहा कि इससे आने वाली पीढ़ियों में स्वाभिमान के भाव का जागरण होगा।
‘सामाजिक दूरी नहीं, शरीर से शरीर की दूरी’
चम्पत राय ने कोरोना महामारी के बीच चर्चित ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ शब्द पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वास्तव में इसका अर्थ सामाजिक दूरी नहीं होना चाहिए। इस शब्द का एक ही अर्थ है कि अपनी सुरक्षा के लिए शरीर को शरीर से दूर रखो। अकेले-अकेले जीवन जीओ। उन्होंने कहा कि मौजूदा संकट हमारे लिए एक अवसर भी है। इसका लाभ उठाते हुए अपने भाई-बंधुओं की चिंता करें, सेवा करें। उन्होंने कहा कि दुनिया के जिन देशों ने इस बीमारी की चिंता नहीं की, वहां का हाल आज बद से बदतर है। लेकिन हमारे देश की सरकार ने अच्छा कदम उठाया, जिसका परिणाम आज सबके सामने है। यह महामारी धैर्य से ही जीती जाएगी।
चम्पत राय ने महाराष्ट्र के पालघर में हुई दो संतों समेत तीन लोगों की हत्या पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही निंदनीय कृत्य है। उन्होंने इस हत्याकांड को लेकर महाराष्ट्र की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि 16 अप्रैल की रात्रि को घटना होती है और उसकी एफआईआर 24 अप्रैल को दर्ज की जाती है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
विहिप उपाध्यक्ष राय ने कहा कि संतों की हत्या के विरोध में अयोध्या के एक संत ने 24 अप्रैल से अन्न-जल ही ग्रहण नहीं किया। साधु-संतों के बहुत समझाने पर उन्होंने आज सोमवार को अन्न-जल ग्रहण किया है। उन्होंने कहा कि पालघर में मारे गए संतों की आत्मा की शांति के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं उसके विभिन्न अनुषांगिक संगठन के कार्यकर्ता 28 अप्रैल को अपने-अपने घरों में दीपक जलाकर श्रद्धाजंलि देंगे। इसके साथ ही हत्याकांड के दोषियों को जल्द से जल्द सजा दिलवाने की मांग को लेकर ज्ञापन भी सौंपा जाएगा।
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