उच्च रक्तचाप ( High Blood Pressure ) में दो नारंगी नित्य खाते रहें, रक्तचाप सामान्य रहेगा। नित्य प्रातः भूखे पेट एक गिलास नारंगी का रस पियें और रात को सोते समय एक गिलास गर्म दूध पियें। इनमें पोटेशियम और कैल्शियम पाया जाता है। पोटेशियम और कैल्शियम की मात्रा बढ़ाकर रक्तचाप कम किया जा सकता है जो नारंगी और दूध के सेवन से बढ़ जाते हैं। ये मिनरल्स उच्च रक्तचाप के जिम्मेदार सोडियम का स्तर बढ़ने से वृक्कों ( Kidney ) को होने वाले नुकसान से बचाव करते हैं।
यूरिक अम्ल – नित्य दो नारंगी खाने तथा पानी अधिक पीने से यूरिक अम्ल निकल जाता है, जिससे गठिया ठीक हो जाता है।
कब्ज – सुबह नाश्ते में नारंगी का रस कई दिन तक पीते रहने से मल प्राकृतिक रूप से आने लगता है। यह पाचन शक्ति बढ़ाती है।
व्याकुलता — धूप में घूमने, अधिक श्रम करने से व्याकुलता हो तो ठण्डे पानी में नीबू निचोड़कर पियें।
हिस्टीरिया — गर्म पानी में नीबू , नमक , जीरा , भुनी हुई हींग, पोदीना मिलाकर पियें। यह प्रयोग कम – से – कम एक माह करें।
सावधानी – पैर के जोड़ों में दर्द, गले के टॉन्सिल, पेट में घाव ( Ulcer ) के रोगी को नीबू नहीं देना चाहिए। ऐसे लोग भी सावधानीपूर्वक नीबू के प्रयोग करें जिन्हें नीबू के प्रयोग से चक्कर आते हैं या निम्न रक्तचाप ( Low Blood Pressure ) हो जाता है।