अविनाशी पुरुषोत्तम श्री राम की महिमा अपार हैं, विश्ोष रूप से कलयुग में तो उनके नाम के जप-तप से जीव मुक्त हो जाता है, क्योंकि कलयुग में धर्म का ह्वास हो जा रहा है और अधर्म को बढ़ावा मिल रहा है। ऐसे में उनके नाम सिमरन से जीव मुक्त हो जाता है। सच्चे श्रद्धाभाव से उनकी शरण में जो भी जीव जाता है, वह संसार से मुक्त हो जाता है, अर्थात वह जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त होकर उन्हीं ब्रह्म में लील हो जाता है। त्रेतायुग में जब श्री राम धरती पर धर्म की स्थापना के लिए अवतरित हुए थ्ो, तब उन्होंने न सिर्फ शरणागतों की रक्षा की थी, बल्कि उन असुरों का भी कल्याण किया था, जिन्होंने शत्रुभाव रखकर उनसे युद्ध किया था लेकिन अंत समय में उनके नाम का सिमरन किया था। उनके नाम का ही प्रभाव था जो युद्ध के बाद उनके पक्ष के सभी मृत वानर, भालू व अन्य जीव जीवित हो गए थ्ो। उनकी लीला का गान करने से मनुष्य को इस कलयुग में मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
कलयुग में जीव के उद्धार के लिए तुलसीदास जी ने राम चरित मानस की रचना की है, जिसकी चौपाइया अमोघ फल प्रदान करने वाली है, इनके जप से मनुष्य को न सिर्फ इस धरती पर सुख और आनंद की प्राप्ति होती है, बल्कि मृत्यु होने पर सदगति को प्राप्त होता है। आज के दौर में जब धर्म से दूर हो गया है और धर्म- अधर्म भ्ोद को भूल चुका है। ऐसे में जीव को आत्म कल्याण के लिए उन्हीं श्री राम के शरणागत होना चाहिए। श्री रामचरित मानस की चौपाइयों के जप से जीव विकट संकटों से मुक्त हो जाता हैै। इस युग में सुख की कामना करने वालों को उनके शरणागत होना चाहिए।
राम चरित मानस की चौपाइयां जो जीव को सुख-सौभाग्य प्रदान करती है, वह इस प्रकार है।
1- जीव को अपनी रक्षा के लिए इस चौपाई का जप करना चाहिए-
मामभिरक्षक रघुकुल नायक |
घृत वर चाप रुचिर कर सायक ||
2- जीव को विपत्ति दूर करने के लिए इस चौपाई का जप करना चाहिए-
राजिव नयन धरे धनु सायक |
भक्त विपत्ति भंजन सुखदायक ||
3- जीव को श्रीराम से सहायता प्राप्त करने के लिए इस चौपाई का जप करना चाहिए-
मोरे हित हरि सम नहि कोऊ |
एहि अवसर सहाय सोई होऊ ||
4- जीव को सर्व कामना सिद्धि के लिए इस चौपाई का जप करना चाहिए-
वंदौ बाल रुप सोई रामू |
सब सिधि सुलभ जपत जोहि नामू ||
5- जीव को सबको वश मे करने के लिए इस चौपाई का जप करना चाहिए-
सुमिर पवन सुत पावन नामू |
अपने वश कर राखे राम ||
6- जीव को संकट से बचने के लिए इस चौपाई का जप करना चाहिए-
दीन दयालु विरद संभारी |
हरहु नाथ मम संकट भारी ||
7- जीव को विघ्न के नाश के लिए इस चौपाई का जप करना चाहिए-
सकल विघ्न व्यापहि नहि तेही |
राम सुकृपा बिलोकहि जेहि ||
8- जीव को रोग के नाश के लिए इस चौपाई का जप करना चाहिए-
राम कृपा नाशहि सव रोगा |
जो यहि भाँति बनहि संयोगा ||
9- जीव को ज्वर व ताप को दूर करने के लिए इस चौपाई का जप करना चाहिए-
दैहिक दैविक भोतिक तापा |
राम राज्य नहि काहुहि व्यापा ||
1०- जीव को दु:ख नाश के लिए इस चौपाई का जप करना चाहिए-
राम भक्ति मणि उस बस जाके |
दु:ख लवलेस न सपनेहु ताके ||
11- जीव को खोई चीज पाने के लिए इस चौपाई का जप करना चाहिए-
गई बहोरि गरीब नेवाजू |
सरल सबल साहिब रघुराजू ||
12- जीव को अनुराग बढाने के लिए इस चौपाई का जप करना चाहिए-
सीता राम चरण रत मोरे |
अनुदिन बढे अनुग्रह तोरे ||
13- जीव को घर मे सुख प्राप्ति के लिए इस चौपाई का जप करना चाहिए-
जै सकाम नर सुनहि जे गावहि |
सुख सम्पत्ति नाना विधि पावहि ||
14- जीव को अपने सुधार के लिए इस चौपाई का जप करना चाहिए-
मोहि सुधारहि सोई सब भाँती |
जासु कृपा नहि कृपा अघाती ||
15- जीव को विद्या पाने के लिए इस चौपाई का जप करना चाहिए-
गुरू गृह पढन गए रघुराई |
अल्प काल विधा सब आई ||
16- जीव को विद्या पाने के लिए इस चौपाई का जप करना चाहिए-
जेहि पर कृपा करहि जन जानी |
कवि उर अजिर नचावहि बानी ||
17- जीव को निर्मल बुद्धि के लिए इस चौपाई का जप करना चाहिए-
ताके युग पदं कमल मनाऊँ |
जासु कृपा निर्मल मति पाऊँ ||
18- जीव को मोह नाश के लिए इस चौपाई का जप करना चाहिए-
होय विवेक मोह भ्रम भागा |
तब रघुनाथ चरण अनुरागा ||
19- जीव को प्रेम बढाने के लिए इस चौपाई का जप करना चाहिए-
सब नर करहि परस्पर प्रीती |
चलत स्वधर्म कीरत श्रुति रीती ||
2०- जीव को प्रीति बढाने के लिए इस चौपाई का जप करना चाहिए-
बैर न कर काह सन कोई |
जासन बैर प्रीति कर सोई ||
21- जीव को सुख प्रप्ति के लिए इस चौपाई का जप करना चाहिए-
अनुजन संयुत भोजन करही |
देखि सकल जननी सुख भरहीं ||
22- जीव को भाई का प्रेम पाने के लिए इस चौपाई का जप करना चाहिए-
सेवाहि सानुकूल सब भाई |
राम चरण रति अति अधिकाई ||
23- जीव को बैर दूर करने के लिए इस चौपाई का जप करना चाहिए-
बैर न कर काहू सन कोई |
राम प्रताप विषमता खोई ||
24- जीव को मेल कराने के लिए इस चौपाई का जप करना चाहिए-
गरल सुधा रिपु करही मिलाई |
गोपद सिधु अनल सितलाई ||
25- जीव को शत्रु नाश के लिए इस चौपाई का जप करना चाहिए-
जाके सुमिरन ते रिपु नासा |
नाम शत्रुघ्न वेद प्रकाशा ||
26- जीव को रोजगार पाने के लिए इस चौपाई का जप करना चाहिए-
विश्व भरण पोषण करि जोई |
ताकर नाम भरत अस होई ||
27- जीव को इच्छा पूरी करने के लिए इस चौपाई का जप करना चाहिए-
राम सदा सेवक रूचि राखी |
वेद पुराण साधु सुर साखी ||
28- जीव को पाप विनाश के लिए इस चौपाई का जप करना चाहिए-
पापी जाकर नाम सुमिरहीं |
अति अपार भव भवसागर तरहीं ||
29- जीव को अल्प मृत्यु न होने के लिए इस चौपाई का जप करना चाहिए-
अल्प मृत्यु नहि कबजिहूँ पीरा |
सब सुन्दर सब निरूज शरीरा ||
3०- जीव को दरिद्रता दूर के लिए इस चौपाई का जप करना चाहिए-
नहि दरिद्र कोऊ दु:खी न दीना |
नहि कोऊ अबुध न लक्षण हीना ||
31- जीव को प्रभु दर्शन पाने के लिए इस चौपाई का जप करना चाहिए-
अतिशय प्रीति देख रघुवीरा |
प्रकटे ह्रदय हरण भव पीरा ||
32- जीव को शोक दूर करने के लिए इस चौपाई का जप करना चाहिए-
नयन बन्त रघुपतहि बिलोकी |
आए जन्म फल होहि विशोकी ||
33- जीव को क्षमा माँगने के लिए इस चौपाई का जप करना चाहिए-
अनुचित बहुत कहहूँ अज्ञाता |
क्षमहुँ क्षमा मन्दिर दोऊ भ्राता ||
सबसे अंत में यह बात कहना जरूरी है कि भगवान भाव को देखता है, यदि श्रद्धाभाव के अभाव में कोई भी कार्य किया जाए तो फलीभूत नहीं होता है, इसलिए ईश्वर पर पूर्ण विश्वास रखकर श्रद्धा से उनका जप-तप और अर्चन किया जाए। साथ ही जिस चौपाई का जप कर रहे है। उसका आशय भी जानना भी उतना ही आवश्यक है।
सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें।
सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।