रणकपुर जैन मंदिर : चौमुखा मंदिर आदि तीर्थंकर ऋषभदेव को समर्पित

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चौमुखा मंदिर, जिसको पहले ‘ त्रैलोक्यदीपक ‘

ranakapur jain mandir : chaumukha mandir aadi teerthankar rshabhadev ko samarpit रणकपुर: रणकपुर, संगमरमर के बने जैनमंदिरों का एक अपूर्व क्षेत्र है। अरावली पहाड़ी के भूदृश्यों के साथ – साथ वास्तुकला के बेहतरीन नमूनों भी हैं।

रणकपुर जैन मंदिर : चौमुखा मंदिर आदि तीर्थंकर ऋषभदेव को समर्पित

कहा जाता है कि एक साधारण व्यक्ति दीपाकारित ने इस भव्य मंदिर क्षेत्र की कल्पना की थी और राणा कुंभा के कहने पर धरनाशाह ने इस मंदिर क्षेत्र का निर्माण सन् 1439 में प्रारंभ कराया था। इस संपूर्ण क्षेत्र में प्रमुख मंदिर है – चौमुखा मंदिर, जिसको पहले ‘ त्रैलोक्यदीपक ‘ कहा जाता था। इस भव्य मंदिर का निर्माण लगभग 60 वर्षों में पूरा हो सका। मंदिर निर्माण का कार्य सन् 1498 में प्रथम तीर्थंकर की मूर्ति की स्थापना के साथ संपन्न हुआ। उदयपुर – जोधपुर हवाई मार्ग तथा रेल मार्ग से रणकपुर जुड़ा है। यह उदयपुर से 152 किलोमीटर और सदरी से 10 किलोमीटर पर है और जोधपुर से इसकी दूरी लगभग 172 किलोमीटर है। यहां का मुख्य स्टेशन फालना जंक्शन है। उदयपुर या फालना से बस द्वारा आसानी से जाया जा सकता है।

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आदिनाथजी की मूर्ति

मंदिर के भीतरी भाग में आदिनाथजी की मूर्ति है, जिसको चारों तरफ से देखा जा सकता है। 48000 वर्गफुट जगह पर निर्मित यह मंदिर तिमंजिला है। मंदिर के चार भाग हैं, जिन पर करीब 80 गुंबद हैं, जिन्हें 400 खंभों पर टिकाया गया है। मंदिर में 24 मंडप हैं और 44 शिखर। मंदिर में दाखिल होते ही कोई भी भक्तिभाव से ओत प्रोत हो सकता है। आदि तीर्थंकर ऋषभदेव को समर्पित यह मंदिर मोमबत्तियों के प्रकाश से ही आलोकित रहता है। मंदिर में दो विशाल घंटे लगे हैं, जो आरती के समय बजते हैं। इनकी टंकार मीलों तक सुनाई देती है। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें जैन प्रतिमाओं के अलावा हिंदू देवी – देवताओं की प्रतिमाएं भी हैं। राम और कृष्ण के जीवन से संबंधित अनेक मूर्तियां हैं।

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