नैनीताल 28 अप्रैल (एजेंसी)। उत्तराखंड सरकार ने कार्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) के कालागढ़ कोर जोन में काबिज 242 अतिक्रमणकारियों के मामले में सोमवार को उच्च न्यायालय में स्थिति स्पष्ट कर दी।
प्रदेश सरकार की ओर से कहा गया कि अतिक्रमणकारी उत्तर प्रदेश की भूमि पर काबिज हैं और वह उत्तर प्रदेश की जवाबदेही हैं। न ही उनके लिये पुनर्वास की कोई नीति नहीं है।
कालागढ़ कल्याण एवं उत्थान समिति की ओर से दायर जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश जी0 नरेन्दर और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में सुनवाई हुई।
उत्तराखंड सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता (सीएससी) चंद्रशेखर रावत ने अदालत को बताया कि पिछले आदेश के अनुपालन में केन्द्र सरकार की अगुवाई में उप्र और उत्तराखंड के मुख्य सचिवों और सचिवों की एक बैठक आयोजित की गयी जिसमें तय हुआ कि अतिक्रमणकारी उप्र की भूमि पर काबिज हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि उप्र और उत्तराखंड के बीच अभी संपत्ति का बंटवारा नहीं हुआ है। इसलिये अतिक्रमणकारी उप्र की जवाबदेही है। उप्र की तरफ से से भी बैठक में स्पष्ट किया गया कि उप्र में अतिक्रमणकारियों के पुनर्वास के लिये कोई नीति नहीं है। दूसरी ओर से अतिक्रमणकारियों की ओर से इस पर आपत्ति दर्ज की गयी और महाराष्ट्र के मामले का हवाला दिया गया लेकिन खंडपीठ ने उनके तर्क को नहीं सुना और राज्य सरकार को एक सप्ताह में अपना जवाब शपथपत्र के माध्यम से पेश होने को कहा है।
गौरतलब है कि खंडपीठ ने कुछ समय पहले एक आदेश जारी कर केन्द्र सरकार को दोनों प्रदेशों के मुख्य सचिवों की उपस्थिति में इस मामले का हल निकालने के निर्देश दिये थे।
दरअसल सीटीआर के कालागढ़ के कोर जोन में 242 अवैध कब्जेधारी कई दशकों से निवास कर रहे हैं। पौड़ी जिला प्रशासन की ओर से कब्जेधारियों को नोटिस जारी कर बेदखली की कार्रवाई की जा रही है।
इस कदम को कालागढ़ जन कल्याण उत्थान समिति की ओर से एक जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गयी है। याचिकाकर्ता की ओर से इन लोगों के पुनर्वास की मांग की गयी है।
कालागढ़ कोर जोन में काबिज अतिक्रमणकारी उप्र की जवाबदेही: उत्तराखंड
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