रोग दूर करने हैं तो छह मिनट करें गायत्री मंत्र का जप

1
4157

गायत्री मंत्र की शक्ति का प्रभाव दुनियाभर के वैज्ञानिक शोधों में उद्घाटित हुआ है। वैज्ञानिकों ने इसके प्रभाव को स्वीकार किया है। आज की भाग-दौड़ की जिन्दगी में समय का अभाव है, ऐसे में पठन-पाठन का महत्व कम हो गया है, जब पठन-पाठन नहीं होगा, स्वाध्याय नहीं होगा तो मनुष्य का मानसिक विकास कैसे होगा। यह विचारणीय बिंदु है, लेकिन यहां हम आपको बताने जा रहे है, गायत्री मंत्र के बारे में, जिसके प्रभाव से आप शारीरिक कष्टों से मुक्ति पा सकते है, मानसिक विकारों को दूर कर सकते हैं।

एक घड़ी, आधी घड़ी,
आधी में पुनि आध,
गायत्री मंत्र के जाप से,
हरै कोटि अपराध।।

Advertisment

एक घड़ी यानी 24 मिनट
1/2घड़ी यानी 12मिनट
1/4घड़ी यानी 6 मिनट

छह मिनट में किसी साधन से करोडों विकार दूर हो सकते हैं। वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि मात्र छह मिनट गायत्री मंत्र का जप करने से सैकड़ों रोगों का निदान हो सकता है। मानसिक रोगों से मुक्ति मिल सकती है, जो शायद किसी भ्ज्ञी दवा से इतनी जल्दी ठीक नहीं होते हैं। आइये, जानते हैं कि मात्र छ: मिनट गायत्री मंत्र का उच्चारण करने से मस्तिष्क में विशेष कम्पन होता है और इससे मानव शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह पर्याप्त होने लगता है। इससे कई मस्तिष्क रोग दूर होते हैं। इससे मानसिक तनाव दूर होता है। स्मरण शक्ति भी बढ़ती है।

निरंतर सुबह शाम छह-छह मिनट गायत्री मंत्र के तीन माह तक उच्चारण से रक्त संचार संतुलित होता है और रक्त में ऑक्सीजन स्तर बढ़ने लगता है। हृदय रोग, रक्त चाप, कोलस्ट्रोल जैसे रोग ठीक हो जाते हैं।

केवल दो सप्ताह दोनों समय यानी सुबह व शाम को गायत्री मंत्र के उच्चारण से घबराहट, बेचैनी, भय, एंग्जाइटी जैसे रोग दूर होते हैं। गायत्री मंत्र के प्रभाव से कंठ में विशेष कंपन होता है। मांसपेशियों को शक्ति मिलती है। थाइराइड, गले की सूजन दूर होती है और स्वर दोष दूर होने लगते हैं। एक माह तक दिन में तीन बार छह-छह मिनट तक गायत्री मंत्र के उच्चारण से पाचन तन्त्र, लीवर, आँतों को शक्ति प्राप्त होती है, और डाइजेशन सही होता है, सैकड़ौं उदर रोग दूर होते हैं।

यह वास्तव में उच्च स्तर का प्राणायाम होता है और फेफड़ों में विशेष कंपन होता है। फेफड़े मजबूत होते हैं, स्वसनतंत्र की शक्ति बढ़ती है, छह माह में अस्थमा, राजयक्ष्मा यानी टीबी जैसे रोगों में लाभ होता है। आयु बढ़ती है। ये सारे रिसर्च (शोध) विश्व स्तर के वैज्ञानिक स्वीकार कर चुके हैं। जरूरत है छह मिनट रोज गायत्री मंत्र का जप करने की। विशेष बात यह है कि गायत्री मंत्र का जप उच्च स्वर में करना चाहिए। गायत्री मंत्र को लेकर तमाम अन्य शास्त्रीय नियम है, जिन्हें जानना भी आवश्यक होता है, जोकि किसी योग्य व विद्बान गुरु के सानिध्य में प्राप्त किए जाएं तो सर्वोत्तम होता है।

मंत्र है- ऊॅँ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

भावार्थ: हम उस प्राण स्वरूप, दुख: विनाशक, सुख स्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पाप नाशक, प्रेरक और देवस्वरूप परमात्मा को अपनी अंतरात्मा में धारण करें और वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।

यह भी पढ़े- गायत्री मंत्र में कैसे हैं देव के नामों की स्तुति, उपासना और प्रार्थना

यह भी पढ़े- भगवती दुर्गा के 51 शक्तिपीठ, जो देते हैं भक्ति-मुक्ति, ऐसे पहुचें दर्शन को

सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here