रोहिणी ( Diphtheria ), यूरिक अम्ल और नाभि टलने में लाभकारी उपाय
रोहिणी ( Diphtheria ) – डॉ . ई . पी . एन्शूज ने अपनी पुस्तक ‘ थेराप्यूटिक बाइ वेज ‘ में लिखा है कि जर्मनी के एक डॉक्टर ने नीबू के रस से 80 रोगियों को ठीक किया, केवल 1 रोगी ठीक नहीं हो पाया। वे नीबू को पानी में मिलाकर गरारे कराते थे या रोगी को नीबू का थोड़ा – सा रस चूसने को कहते थे।
यूरिक अम्ल- वात रोग को उत्पन्न करने वाली यूरिक अम्ल का नाश नीबू से हो जाता है। यूरिक अम्ल को नष्ट करने हेतु प्रातः भूखे पेट एक गिलास गर्म पानी में एक नीबू का रस तथा आधा चम्मच अदरक का रस मिलाकर पियें। पेशाब के द्वारा शरीर में व्याप्त सारा विष निकल जायेगा। शरीर कंचन की तरह चमकने लगेगा।
नाभि टलना – नीबू काटकर बीज निकाल दें। इसमें सुहागा ( यह पंसारी के मिलता है ) भुना हुआ आधा चम्मच भरकर हल्का – सा गर्म करके चूसें, टली हुई नाभि अपने स्थान पर आ जायेगी।
नोट- अगर थोड़ा – सा नीबू नित्य सेवन किया जाए आयु बढ़ती है। खास बात यह भी है कि नीबू का अधिक सेवन हानिकारक है।
सावधानी – पैर के जोड़ों में दर्द, गले के टॉन्सिल, पेट में घाव ( Ulcer ) के रोगी को नीबू नहीं देना चाहिए। ऐसे लोग भी सावधानीपूर्वक नीबू के प्रयोग करें जिन्हें नीबू के प्रयोग से चक्कर आते हैं या निम्न रक्तचाप ( Low Blood Pressure ) हो जाता है।