क्रोध के नाश के प्रधान उपाय दो हैं 1- – सबमें भगवान को देखना । 2- सबकुछ भगवान का विधान समझकर प्रत्येक प्रतिकूलता में अनुकूलता का अनुभव करना। और भी अनेकों उपाय हैं , उनसे सावधानीके साथ काम लेना चाहिये । सर्वत्र सबमें भगवान को देखनेका अभ्यास करना चाहिये और जिनसे व्यवहार पड़ता हो उनको भगवान का स्वरूप समझकर पहले मन – ही – मन उन्हें प्रणाम कर लेना उनपर चाहिये । तदनन्तर यथायोग्य निर्दोष व्यवहार करना चाहिये । श्री भगवान् हैं , यह बात याद रखने पर व्यवहारमें निर्दोषता आप ही आप आ जायगी ।
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