सपा के लटके पर भारी पड़ेगा कांग्रेस का झटके

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  •  मुश्किल में होगी अखिलेश और समाजवादी पार्टी

लखनऊ। मिशन- 2027 की डगर समाजवादी पार्टी के लिए अब आसन नही होगी। वजह यह है कि कांग्रेस ने अगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अपना ताना-बाना बुनना शुरू कर दिया है। सूत्रों की माने तो विधानसभा उपचुनाव में सपा के दोहरे रवैये से कांग्रेस आलाकमान काफी आहत है, इसलिए अब आगे होने वाले चुनाव में कांग्रेस सपा से तालमेल बनाने के मूड में नहीं है। सूत्र तो यह बता रहे हैं कि कांग्रेस आलाकमान को इस बात का पूरा भरोसा है, इससे जहां सपा को नुकसान होगा, वहीं कांग्रेस को प्रदेश में अपनी जमीन तैयार करने का मौका मिलेगा।
यूपी विधानसभा चुनाव में फिलहाल अभी दो साल से ज्यादा का वक्त बाकी है, लेकिन सियासी बिसात अभी से बिछाई जाने लगी है। यूपी उपचुनाव नतीजे आने के बाद कांग्रेस ने मिशन-2027 के लिए नई रणनीति के साथ उतरने का मन बनाया है। सपा से गठबंधन के भरोसे बैठे रहने के बजाय कांग्रेस अपने दम पर खड़े होने को बेताब है। इसके लिए सूबे की सभी 403 सीटों को 3 हिस्सों में बांटकर चुनावी स्ट्रैटेजी बना रही है, जिसमें पहले 160 सीट पर खास फोकस करने का प्लान बनाया है। इसके बाद क्या बची हुई 243 सीटों पर दूसरे और तीसरे नंबर पर रखरकर कांग्रेस चुनावी रणनीति पर आगे बढ़ेगी?
यूपी कांग्रेस के संगठन महासचिव अनिल यादव ने एक टीवी चैनल से बात करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस ने 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। कांग्रेस यूपी की 160 सीटों पर पहले फोकस करने रणनीति बना रही है। सूबे के हर जिले में कम से कम दो सीटों पर कांग्रेस 2027 का विधानसभा चुनाव लड़ेगी। इस संबंध में यूपी के 13 जिलों में बैठकें हो चुकी हैं. देवीपाटन मंडल से जिला स्तर पर बैठक का दौर फिर से शुरू कर विधानसभा सीटों का चयन करने जा रहे हैं।

सिर्फ गठबंधन के भरोसे नहीं बैठे रहेंगे
अनिल यादव कहते हैं कि सपा के साथ मिलकर 2024 का लोकसभा चुनाव लड़े थे और अभी भी हमारा गठबंधन है, लेकिन सिर्फ गठबंधन के भरोसे नहीं बैठे रहना चाहते. सीटों के चयन के साथ-साथ संगठन को भी मजबूत करने की कवायद है। ऐसे में 160 सीटों का चयन पार्टी नेताओं के सलाह-मशविरा करने के लिए ही जिला स्तर पर बैठकें कर रहे हैं। इसके अलावा पिछले पांच विधानसभा चुनाव में मिले कांग्रेस के वोट का भी आकलन कर रहे और अन्य दलों को मिले मत का आकलन किया जाएगा। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का मुख्य फोकस दलित, ओबीसी और मुस्लिम बहुल विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का है। 160 सीटों के चयन के बाद कांग्रेस जनहित से जुड़े मुद्दों लेकर अलग-अलग कार्यक्रम शुरू करेगी। इन सीटों पर कांग्रेस जातिगत जनगणना और आरक्षण के मुद्दे को धार देने की स्ट्रैटेजी भी बना रही है ताकि, दलित, ओबीसी और मुस्लिम वोटों को विश्वास जीता जा सके। अनिल यादव का कहना है कि सामाजिक न्याय के मुद्दे पर लोकसभा के चुनाव में इंडिया गठबंधन को जीत मिली थी, उसे लेकर हम विधानसभा चुनाव में उतरेंगे। जातीय जनगणना की मांग को लेकर कार्यक्रम शुरू करेंगे और अलग-अलग कार्यक्रम के जरिए कांग्रेस अपनी उपस्थिति 160 सीटों पर बनाए रखेगी।

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कांग्रेस ने दो साल पहले से ही कमर कस ली है
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और सपा ने मिलकर उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ा था। सपा-कांग्रेस की सियासी केमिस्ट्री हिट रही थी और 80 लोकसभा सीटों में से दोनों ने 43 सीटें जीतने में कामयाब रही थीं। सपा 36 और कांग्रेस ने 6 सीटें जीती थी। यूपी के 9 सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस को सपा ने दो सीटों का ऑफर दिया था जबकि, कांग्रेस 5 सीटें मांग रही थी। गाजियाबाद और खैर सीट कांग्रेस ने अपने लिए मुफीद न मानते हुए उपचुनाव से दूरी बना ली थी। सपा ने 9 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। उपचुनाव में सपा के मंच पर कांग्रेस के दिग्गज नेता नजर नहीं आए थे।

उपचुनाव की 9 में से 7 सीटें बीजेपी गठबंधन तो सपा ने 2 सीटें जीती है। सपा को दो सीटों का नुकसान उठाना पड़ा. ऐसे में 2027 के विधानसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस का गठबंधन बना रहेगा या नहीं,यह तो भविष्य बताएगा, लेकिन दोनों दल नए सिरे से सियासी रणनीति बना रहे हैं। कांग्रेस ने प्रदेश की 160 सीटों पर फोकस करने की स्टैटेजी बनाई है, जिसके लिए काम भी शुरू कर रही है। कांग्रेस इस बात को जानती है कि अगर विधानसभा चुनाव की तैयारी अभी से शुरू नहीं करेगी तो फिर 2024 के लोकसभा चुनाव की तरह ही सपा की शर्तों पर गठबंधन करना होगा। इसीलिए दो साल पहले से ही कांग्रेस ने पूरी तरह कमर कस लिया है।

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