संभल दंगे सो-कॉल्ड सेक्युलर कई राजनीतिक दलों के लिए बन सकते हैं फंदा

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संभल में 46 साल पहले हुए दंगे के मामले को लेकर अब फिर से जांच शुरू होने वाली है। यह दंगे 1978 में हुए थे, जब संभल में सांप्रदायिक तनाव और हिंसा फैल गई थी। इन दंगों में कई लोग प्रभावित हुए थे, और इसके बाद इस मामले पर समय-समय पर चर्चा होती रही है, लेकिन लंबे समय तक इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी।

अब उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले की फिर से जांच कराने का निर्णय लिया है, ताकि उस वक्त हुए दंगों के दोषियों को सजा मिल सके और प्रभावित परिवारों को न्याय मिल सके। इस जांच के तहत पुराने दस्तावेजों और गवाहों के बयान लिए जाएंगे, ताकि सच्चाई सामने आ सके। यह कदम राज्य सरकार की ओर से ऐतिहासिक मामलों की पुनः जांच करने के प्रयासों का हिस्सा है।

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इस घटना को लेकर संभल में लगातार विवाद और सवाल उठते रहे हैं, और अब देखने वाली बात यह होगी कि इस मामले में क्या नया खुलासा होता है और क्या जिम्मेदार व्यक्तियों को दंडित किया जा सकेगा।
संभल में 46 साल पहले, यानी 1978 में हुए दंगे एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील घटना रही है। यह दंगे उस समय की सांप्रदायिक स्थिति को दर्शाते हैं, जब उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हिंदू-मुस्लिम समुदाय के बीच हिंसा हुई थी। इस हिंसा के कारण कई लोगों की जान चली गई थी और संपत्तियों का भारी नुकसान हुआ था।

1978 के संभल दंगे के बारे में महत्वपूर्ण बिंदु:
प्रारंभ और कारण:

1978 में, संभल जिले में कुछ सांप्रदायिक घटनाओं के चलते तनाव फैलने लगा था।
इस दंगे की शुरुआत एक धार्मिक समारोह से हुई थी, जो विवाद का कारण बना। धार्मिक उन्माद और मतभेदों के कारण इलाके में तनाव बढ़ गया, और बाद में यह दंगे में बदल गया।
दंगे की तीव्रता:

दंगे के दौरान, हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच हिंसा भड़क उठी, जिससे शहर में बड़े पैमाने पर तबाही हुई।
कई घर जलाए गए, दुकानों को लूटा गया और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा।
कई लोग घायल हुए और मारे गए। अनुमान के अनुसार, इस घटना में सैकड़ों लोग प्रभावित हुए थे, लेकिन सही आंकड़े उस समय स्पष्ट नहीं हो पाए थे।
पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया:

घटना के बाद, पुलिस और प्रशासन ने दंगों को नियंत्रित करने के लिए कड़ी कार्रवाई की थी।
हालांकि, यह भी कहा गया कि प्रशासन और पुलिस की प्रतिक्रिया पर्याप्त नहीं थी और इस कारण दंगे और बढ़ गए।
इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन कुछ को छोड़ दिया गया था, जिससे सवाल उठे थे कि क्या पूरी तरह से न्याय हुआ था।
सांप्रदायिक तनाव:

दंगे ने हिंदू-मुस्लिम समुदाय के बीच गहरी खाई पैदा कर दी थी, और लंबे समय तक दोनों समुदायों के बीच तनाव बना रहा।
घटना ने पूरे उत्तर प्रदेश के सामाजिक और राजनीतिक माहौल को प्रभावित किया।
फिर से जांच की जरूरत:

46 साल बाद, इस घटना के तथ्यों और दोषियों को लेकर सवाल उठने लगे हैं, और अब राज्य सरकार ने इसकी फिर से जांच कराने का निर्णय लिया है।
इससे पहले, इस मामले में कई बार जांच की कोशिशें हुई थीं, लेकिन राजनीतिक दबाव, गवाहों की कमी और अन्य कारणों से कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकला था।
संभल के 1978 के दंगे की यह घटनाएँ उस समय की सांप्रदायिक राजनीति और समाज में फैले विभाजन की एक गंभीर छाया को दर्शाती हैं। इस घटना को लेकर आज भी लोग दंगे के कारणों और उससे हुए नुकसान की पूरी सच्चाई जानने के लिए उत्सुक हैं।

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