मनुष्य हो, अपने मनुष्यतत्व को सदैव ही जागृत रखो। एक क्षण के लिए भी भगवान को मत भूलो। सदा स्मरण रखो कि यहां इस शरीर में भगवान ने तुम्हें पशुओं की तरह से मात्र इंद्रीय भोग के लिए नहीं भेजा है।
तुम्हें उस सफलता को प्राप्त करना है, जिससे आज तक तुम वंचित रहते आए हो। वह सफलता भगवत प्राप्ति के सिवाय कुछ और नहीं है। इसी सफलता को लक्ष्य बनाकर जो मनुष्य निरंतर भगवान में मन रखकर ही जगत में कार्य करता है, उसमें मन को कभी फंसाता नहीं है, देखा जाए तो वास्तव में वही चतुर है।
जीवन निर्वाह के लिए जो भी आवश्यक कार्य हो, उसे तो आवश्य करो, लेकिन करो भगवान को याद करते हुए। अपने लक्ष्य पर दृष्टि सदैव ही बनाए रखो। मन को विषय सुख में लगा कर मलीन न होने दो।
https://www.sanatanjan.com/%E0%A4%96%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A5%80-%E0%A4%85%E0%A4%B2%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%82/