सपने में देवदूत, क्रोध, पशु व बन्दर दिखने का अर्थ

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देवदूत ( फरिश्ता ) – यदि मनुष्य स्वप्न में किसी फरिश्ते से बात करता है तो है यह एक भयंकर अशुभ शकुन है पर यदि कोई चुप ( मौन ) देवदूत को देखता है तो यह अच्छे भाग्य का सूचक है। देवदूत से वार्तालाप मृत्यु, सख्त बीमारी या इसी प्रकार की किसी अन्य बड़ी आपत्ति का सूचक है। यदि कुमारी स्वप्न में देवदूत के दर्शन करती है, तो समझो उसका अभीष्ट और धनी व्यक्ति से विवाह होने वाला है। यदि देवदूत दूर से ही किसी को दर्शन देता है उसके निकट नहीं आता तो समझो कि द्रष्टा को वह चेतावनी देते है कि दुराचरणपूर्ण जीवन बिताना छोड़ दो। यदि किसी गर्भवती स्त्री को देवदूत के दर्शन हों तो समझो कि इसके दिव्य पुत्र होगा, जो महात्मा और धर्मगुरू बनेगा या फिर एक लखपती बनेगा।

क्रोध – स्वप्न में यदि अन्य लोग स्वप्नद्रष्टा से क्रोध करते हैं तो यह मित्रता को बताता है परन्तु यदि द्रष्टा दूसरों से क्रुद्ध होता है तो यह शत्रुता को बताता है।

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पशु – स्वप्न में हष्ट – पुष्ट पशुओं को देखना आने वाली खुशहाली का सूचक है। और दुबले – पतले पशुओं को देखे तो समझो कि दरिद्रता आने वाली है।

कपि ( बन्दर )– यदि स्वप्न में बन्दर दीखें तो समझों द्रष्य ठगों के चंगुल में फंसेगा। बन्दर यदि क्रुद्ध अवस्था में दीखे तो समझो पड़ोसियों से शत्रुता होगी और प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचेगी। बन्दर यदि प्रसन्न दोखे तो समझो टूटी मित्रता फिर से जुड़ेगी। बन्दर यदि कुछ खाता हुआ दोखे तो समझो कि दरिद्रता आने वाली है। सोता हुआ बन्दर दोखे तो समझो दूर देश की यात्रा करनी होगी।

नोट – बहुत से हिन्दुओं की धारणा है कि यदि स्वप्न में बन्दर दीखें तो समझो हनुमानजी ने इस रूप में दर्शन दिये हैं। अतः स्वप्न द्रष्टा को मंगल का व्रत रखकर बन्दरों को चने खिलाने चाहिए।

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