सर्पासन बेहद साधारण आसन है, लेकिन इसके फायदे बहुत है। वजह यह है, क्योंकि इसका सीधा-सीधा लाभ पेट व हृदय पर होता है। अधिकतर बीमारियों की शुरुआत पेट से ही होती है, यदि पेट ठीक रहता है तो बहुत सी बीमारियां होती ही नहीं है।
Advertisment
मनुष्य स्वस्थ्य रहता है, इसलिए इस दृष्टि से इस आसन को महत्वपूर्ण माना जाता है, सहज होना भी इसकी खासियत है। प्रात: इसकों करने से अनेक लाभ होते है। आइये इसे करने की विधि को जानते हैं।
जानिए, सर्पासन की विधि
भूमि पर पेट के बल लेट जाइये। दोनों हाथों की हथ्ोलियों को पेट के आसपास भूमि पर रख्ों। बाद में छाती को आगे की ओर तानते हुए अपनी छाती व सिर को सांप के फन की तरह ऊपर की उठायें।
यह प्रक्रिया कई बार दोहरायें और दैनिक जीवन में नियमित रूप से करना श्रेयस्कर होता है। यह इस आसन को नियमित रूप से किया जाता है तो इसका सकारात्मक प्रभाव हमारे पेट व हृदय के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। इस आसन का प्रत्यक्ष लाभ मैंने स्वयं भी महसूस किया है, लेकिन गर्भवती महिलाओं को यह आसन नहीं करना चाहिए। इस बात का विश्ोष ध्यान रखने की जरूरत है। यदि गर्मवती स्त्री इस आसन को करेगी तो इसका नकारात्मक प्रभाव उस व बच्चे पर पड़ सकता है, इसलिए गर्मवती महिलाओं को इस आसन को न करने की सलाह दी जाती है।
प्रस्तुति
स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर
सेवानिवृत्त तहसीलदार/ विशेष मजिस्ट्रेट, हरदोई
नोट:स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर के पिता स्वर्गीय पंडित भीमसेन नागर हाफिजाबाद जिला गुजरावाला पाकिस्तान में प्रख्यात वैद्य थे।
यह भी पढ़ें – वैैष्णो देवी दरबार की तीन पिंडियों का रहस्य
सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें।
सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।
Wow its really good
Thanx for sharing this amazing knowledge