श्री हनुमान भगवान श्री राम के अनन्य भक्त हैं। उनकी तुलना अन्यत्र सम्भव नहीं है, जो श्री राम की भक्ति करते हैं, उन पर श्री हनुमंत की कृपा स्वत: ही हो जाती है। हनुमान की राम भक्ति अनुपम है। ऐसे श्री राम के परम भक्त की कृपा आपको सहज ही प्राप्त हो सकती है। इसके लिए बजरंग बाण का पाठ सर्वोत्तम रहता है, यह कैसे किया जाए?, हम आपको इस लेख के माध्यम से बताते हैं। महावीर हनुमान शरीरिक शक्ति के प्रतीक हैं। वे अुतल बल वाले हैं। वे बलवान और पराक्रमी हैं। सोने के पर्वत जैसी उनकी सदृश देह है। वे आसुरी अर्थात सभी दुष्ट शक्तियों का दमन करने वाले हैं। इस कारण इन्हंे महावीर कहा जाता है। दुष्ट दल उनकी शारीरिक शक्तियों के आगे उसी प्रकार दब जाते हैं, जिस प्रकार पर्वत के नीचे क्षुद्र तिनका। हनुमान जी की प्रसन्नता के लिए साधकों को चाहिए कि वे अपने सामने हनुमान की प्रतिमा या कोई चित्र रख लें और पूरे आत्मविश्वास व निष्ठा के साथ हनुमंत का ध्यान करें।
उनकी लीलाओं का स्मरण करते हुए ध्यान में लीन हो। मन ही मन ऐसी धारणा करें कि हनुमान जी की दिव्य शक्तियां धीरे-धीरे उनके शरीर में प्रवेश कर रही हैं। उसके अंदर और चारों ओर के वायुमंडल यानी आकाश में स्थित परमाणु उत्तेजित हो रहे हैं। ऐसे सशक्त वातावरण में निवास करने से उसकी मन: शक्ति बढ़ने में सहायता मिलती है। जब हनुमंत की यह मूर्ति मन में स्थायी रूप से उतरने लगे और अंदर की शक्ति के स्रोत खुलने लगें तो ही बजरंग बाण की सिद्धि समझनी चाहिए। श्रद्धायुक्त अभ्यास ही पूर्णता की सिद्धि में सहायक होता है।
अब सबसे पहले अपने सामने हनुमान जी का चित्र या मूर्ति रखिए, फिर चंदन, पुष्प, धूप आदि से पूजन कर ध्यान से उन्हें देखिए। श्रद्धा के साथ उन्हें प्रणाम कीजिए। फिर श्रद्धापूर्वक इस प्रकार स्तुति कीजिए-
अतुलित बलधामं हेमश्ौलाभदेहं,
दनुजवनकृशानु ज्ञानिनामप्रप्रष्यम।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं,
रधुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।
इस तरह से हनुमंत जी को श्रद्धापूर्वक नमन कर ध्यान कीजिए। इसके बाद बजरंग बाण का श्रद्धापूर्वक उच्चारण कीजिए। बजरंग बाण का पाठ संयमित, नियमित और श्रद्धा के साथ भावपूर्ण होना चाहिए। नोट- आप बजरंग बाण का पाठ किसी भी धार्मिक पुस्तक केंद्र से प्राप्त कर सकते हैं। कुछ अंश का हम नीचे उल्लेख कर रहे है।
पाठ है- निश्चयद प्रेम प्रतीति………
…….सब काम सफल हनुमाना।।
बजरंग बाण का आपको कंठस्थ कर लेना चाहिए और कुछ दिनो तक महाबली हनुमान के चित्र के सामने श्रद्धापूर्वक उच्चारण करना और उनके गुणों पर मन को केंद्रित करना चाहिए। धीरे-धीरे आपको ऐसा अनुभव होगा कि शरीर के अणु-अणु में नए प्राण और नवीन चेतना फैल रही है।
मानो शरीर में साक्षात हनुमान जी विराज रहे है। यह अपनी शक्तियों को विकसित करने का अमोघ आध्यात्मिक उपाय है। आप ऐसा करके अपनी आध्यात्मिक चेतना को सहजता से जागृत कर सकते हैं।