भगवान शिव का पूजन श्रद्धा भाव से किया जाए तो वे सदैव ही शीघ्र प्रसन्न होते हैं, इसलिए उन्हें भोलेनाथ के नाम से पुकारा जाता है। परम दयावान भगवान भोलेशंकर का पूजन अगर सावन में किया जाता है, तो वे अतिशीघ्र प्रसन्न होकर सौभाग्य प्रदान करते हैं। बाहर से तमोगुणी और भीतर से सतोगुणी भोलेशंकर का ध्यान पूजन परम कल्याण प्रदान करता है। ऐसे भोलेनाथ के पूजन से सम्बन्धित छोटी-छोटी बातें हम आपको बताते हैं, जो आपके पूजन-अर्चन में सहायक बनेंगी।
वैसे तो भगवान का पूजन पूर्ण श्रद्धा से किया जाए तो वह अत्यन्त फलदायी होता है, लेकिन किसी फल कामना या किसी सांसारिक अभिलाषा की प्राप्ति के लिए पूजन अर्चन करने जा रहे हैं तो आपके लिए यह लेख अत्यन्त सहायक सिद्ध हो सकता है।
शिव पूजन में फूल का महत्व
चमेली के फूल चढ़ाने से वाहन सुख में वृद्धि होती है, अर्थात जो भक्त वाहन सुख प्राप्त करना चाहता है, वह चमेली के पुष्प को श्रद्धाभाव से अर्पित करें। अलसी के पुष्प से पूजन करने वाला भक्त भगवान विष्णु का भी प्रिय हो जाता है, अर्थात उसे भगवान शिव के साथ ही भगवान विष्णु की कृपा भी प्राप्त हो जाती है। राई का फूल चढ़ाने से शत्रु परास्त होते है और बेल पत्र चढ़ाने से मनुष्य की सर्व मनोकामना की पूर्ति होती है। शमी पत्रों से पूजन करके मनुष्य मोक्ष प्राप्त कर लेता है। मदार के पुष्पों से पूजन करने से नेत्र व हृदय विकार दूर होते हैं। धतूरा अगर भगवान शिव को अर्पित किया जाता है तो इससे विषैले जीवों से खतरा नहीं रहता है। बेला के फूल चढ़ाने से मनचाहा वर या वधु की प्राप्ति होती है। जूही के पुष्प से भगवान का पूजन अर्चन किया जाए तो भक्त के घर में अन्न की कभी कमी नहीं होती है।
कनेर के पुष्प से पूजन करने से भक्त को सुंदर वस्त्रों की प्राप्ति होती है। हरसिंगार से पूजा करने से भगवान शीघ्र प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं। सावन के दिनों में भक्त को अपनी इच्छा के अनुसार भगवान का नित्य पूजन करना चाहिए। यदि भक्त श्रद्धा से नित्यप्रति उनका फूलों से पूजन करता है तो उसका निश्चित ही कल्याण होता है।
शिव पूजन में द्रव्य का महत्व
वैसे तो ईश्वर भाव को देखता है, उसके भाव के अनुरूप ही फल भी प्रदान करता है, लेकिन धर्म शास्त्रों में वर्णित है कि विवाह की इच्छा रखने वाले को दूध, बेलपत्र, गंगाजल, शमी पत्र, नारियल पानी, भांग, खोये की मिठाई और गुलाबी रंग के गुलाल से भगवान का अभिषेक करना चाहिए।
जल से अभिषेक करने पर सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। दूध से अभिषेक करने पर उत्तम संतान की प्राप्ति होती है। गन्ने के रस से अभिषेक करने से यश, शहद से अभिषेक करने से कर्ज मुक्ति, कुश के जल से अभिषेक करने से रोग मुक्ति, पंचामृत से अष्टलक्ष्मी की प्राप्ति और तीर्थो के जल से अभिषेक करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
चंदन मिश्रित जल चढ़ाने से व्यक्तित्व आकर्षक होता है। भांग चढ़ाने से बुराइयां और मन के विकार दूर होते हैं।
कुशाग्र बुद्धि के लिए अभिषेक –
कुशाग्र बुद्धि के लिए भक्त को शर्करा मिश्रित दुग्ध की धारा अर्पित करनी चाहिए। गंगा जल से अभिषेक करने से भक्त को भोग व मोक्ष की प्राप्ति होती है।
शिव पूजन से दूर होता है वास्तु दोष
जिन मकानों में वास्तुदोष हो, वहां सुख व शांति के लिए शिवलिंग पर अभिषेक करने के बाद जलहरी के जल को घर पर लाकर उससे ऊॅँ नम: शिवाय करालं महाकाल कालं कृपालं ऊॅँ नम: शिवाय मंत्र का जप करते हुए पूरे घर में छिड़काव करना चाहिए। ऐसा करने से घर में मौजूद नकारात्मक शक्तियों का शमन हो जाता है।
यहां रुद्राभिषक करना अत्यन्त शुभ –
कार्य में बाधा, आपसी कलह, रोग आदि परेशानियां दूर करने के लिए घर के उत्तर पूर्व यानी ईशान कोण या ब्रह्म स्थान में रुद्राभिषेक करना अत्यन्त शुभ होता है।
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घर में शिव कृपा बनी रहे, धन का आगमन हो, इसके लिए घर की पूर्व या उत्तर-पश्चिम यानी वायव्य कोण दिशा में बिल्व का पेड़ लगाएं। शाम के समय इसके नीचे घी का दीपक जलाएं।
ध्यान रहे- भगवान शिव भाव को देखते हैं, इसलिए भाव सहित पूजा करनी चाहिए।
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भगवान शिव का पूजन श्रद्धा भाव से किया जाए तो वे सदैव ही शीघ्र प्रसन्न होते हैं, इसलिए उन्हें भोलेनाथ के नाम से पुकारा जाता है। परम दयावान भगवान भोलेशंकर का पूजन अगर सावन में किया जाता है, तो वे अतिशीघ्र प्रसन्न होकर सौभाग्य प्रदान करते हैं। बाहर से तमोगुणी और भीतर से
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