सेब एक सेहत पर फायदे अनेक

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सेब एक सेहत पर फायदे अनेक

सेब एक सेहत पर फायदे अनेक

शक्तिवर्धक सेब सेहत के लिए अमृत है। सेब के छिलके में विटामिन अधिक होते हैं। अत : सेब छिलके सहित खायें। सुबह – शाम खाली पेट सेब नित्य खाने से शरीर में स्फूर्ति रहती है। चिड़चिड़ापन दूर होकर मानसिक शक्ति बढ़ती है। सेब में विटामिन ‘ सी ‘ अधिक होता है। सेब खाने से पुराने, असाध्य रोगों में लाभ होता है। सेब में ‘ मैलिक एसिड ‘ रहता है। यह खटाई आँतों, यकृत और मस्तिष्क के लिए उपयोगी है। इसमें फॉस्फोरस होता है अर्थात् जलन करने वाला पदार्थ जिसे खाने से पेट साफ होता है और आमाशय को पुष्टि प्राप्त होती है। सेब में फॉस्फोरस सर्वाधिक होता है जो पुट्ठों, स्नायु और मस्तिष्क के लिए बहुत लाभदायक है।

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सेब और इसका रस विटामिन एवं खनिज पदार्थों से भरपूर हैं। दो सेब के छोटे – छोटे टुकड़े काटकर उस पर आधा किलो उबलता हुआ पानी डालकर रख दें। जब पानी ठण्डा हो जाए तो उसे छानकर पी लें। यदि मीठे की आवश्यकता हो तो मिश्री मिलायें। यह सेब का पौष्टिक और स्वादिष्ट शर्बत है। यह शीघ्र ही रक्त में मिलकर हृदय, मस्तिष्क, यकृत और शरीर के हरेक कोश में शक्ति और स्फूर्ति पहुँचाता है।

सेब का रस हृदय को शक्ति देता है; नेत्रदृष्टि तेज करता है , शरीर और रक्त के विषैले दोषों को निकालकर विभिन्न रोगों को दूर करता है, दुबले – पतले व्यक्तियों को हृष्ट – पुष्ट बनाता है। जो लोग शक्तिशाली, स्वस्थ और जवान बने रहना चाहते हैं, उनको सेब का रस अधिकाधिक नित्य सेवन करना चाहिए।

सेब भूखे पेट खाना अच्छा

सेब भूखे पेट खाना अच्छा है। यह गर्मी, खुश्की दूर करता है। इसका मुरब्बा हृदय, रक्त , मस्तिष्क की कमजोरी हटाता है। नित्य प्रातः भूखे पेट सेब खाकर ऊपर से तो एक दो माह में ही त्वचा का रंग निखरेगा, चेहरे पर लाली झलकेगी, यौन सम्बन्धी सभी कमजोरियाँ दूर होकर जीवन में स्फूर्ति दौड़ने लगेगी। यह बहुत अच्छा टॉनिक है। मानसिक तनाव, चर्मरोग, गठिया, संधिशोथ, श्वास प्रणाली के रोगों में नित्य दो सेब खाने से लाभ होता है। सेव भोजन से पहले भूखे पेट खाने पर अधिक लाभदायक है। सेब वीर्यवर्धक है।

जोड़ों का दर्द– पेशाब की जाँच कराने पर यदि पेशाब में अम्ल ( Acid ) की मात्रा पाई जाये तो सेब खाना लाभदायक है। सेब खाने से जोड़ों का दर्द व गठिया में लाभ होता है। सेब उबालकर, पीसकर, दर्द वाली जगह पर लेप करें। दाँत गलते हों, छेद हों, मसूढे फूलते हों तो खाना खाने के बाद नित्य सेब खायें। इससे दाँत और मसूढ़े ठीक हो जायेंगे और खराब नहीं होंगे। यह स्फूर्तिदायक फल है।

शराब की आदत- सेब का रस बार – बार पीने से, अच्छी तरह पका हुआ एक – एक सेब नित्य तीन बार खाते रहने से शराब पीने की आदत छूट जाती है। नशे के समय सेब खाने से नशा उतर जाता है। इसका रस भी पिया जा सकता है। भोजन के साथ सेब खाने से भी शराब की आदत छूट जाती है। उबले हुए तीन सेब नित्य तीन बार खाने से कुछ ही दिनों में शराब पीने की लत छूट जाती है। मानसिक रोग, कफ, खाँसी, यक्ष्मा में सेब का रस, इसका मुरब्बा लाभप्रद है।

भूख न लगना— ( 1 ) खट्टे सेब का रस एक गिलास, मिलाकर स्वाद के दिन तक नित्य पीने से भूख अच्छी तरह लगने लगेगी।

( 2 ) खट्टे सेब के रस में आटा गूंधकर रोटी बनाकर नित्य खायें।

( 3 ) एक गिलास सेब के रस में मिश्री मिलाकर पीने से भूख अच्छी लगती है।

( 4 ) प्रातः भूखे पेट सेब खाने से भूख अच्छी लगती है।

अच्छे स्वास्थ्य के लिए नित्य 300 ग्राम कार्बोहाइड्रेट लेने का प्रयत्न करें। एक सेब में 21 ग्राम प्रोटीन होता है।

मोटापा बढ़ाना – एक सेब काटकर रात भर चाँदनी या खुले में रखें। प्रातः इस प्रकार चालीस दिन खायें, मोटापा बढ़ जायेगा।

मलेरिया ज्वर – मलेरिया में ज्वर आने के पहले सेब खाने से ज्वर आने के समय, ज्वर नहीं आता। बच्चों के पेट के रोगों में नित्य सेब खिलाना लाभदायक है।

बिच्छू काटना – सेब को चटनी की तरह पीसकर जहाँ बिच्छू ने काटा हो, लेप करें तथा सेब खिलायें।

जुकाम – दुर्बल मस्तिष्क के कारण भी सर्दी – जुकाम सदा बना रहता है। ऐसे रोगियों को जुकाम की दवाओं से लाभ नहीं होता। ऐसे लोगों को जुकाम ठीक करने के लिए भोजन से पहले छिलके सहित सेब खाना चाहिए। इससे मस्तिष्क की दुर्बलता भी दूर होती है।

सेब एक सेहत पर फायदे अनेक

ब्रोंकाइटिस – सर्द ऋतु में खाँसी, जुकाम प्रायः होता रहता है। सर्दी, खाँसी से ब्रोंकाइटिस हो जाता है। दो सेब या नाशपाती ( Pears ) खाने से पुरानी ( क्रानिक) ब्रोंकाइटिस से छुटकारा मिल सकता है। सेब और नाशपाती में कैचिन्स ( Catechins ) नामक एंटी आक्सीडेंट्स कम्पाउंड्स पाये जाते हैं जो फेफड़ों की कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाने में सहायक होते हैं। सेब, नाशपाती कच्ची ही खाना लाभप्रद है। क्रानिक ब्रोंकाइटिस के रोगी को लम्बे समय कम – से – कम तीन माह से खाँसी चली आती है और वह कफ अधिकाधिक थूकता रहता है। यह तथ्य अमेरिकन थोरेसिक सोसायटी ने व्यक्त किया है। सेब फेफड़ों के लिए लाभदायक है। विटामिन ‘ सी ‘ , ‘ ई ‘ , एवं बीटा केरोटीन, खट्टे फलों, सेब एव फलों के रस के साथ ही फेफड़ों का भलीभाँति कार्य करने का सम्बन्ध है। जो लोग सेब खाते हैं, उनके फेफड़ों की क्षमता सेब नहीं खाने वालों से अधिक होती है। इसलिए प्रतिदिन सेब खायें। ब्रोंकाइटिस और खाँसी को भगायें।

खाँसी – पके हुए सेब का एक गिलास रस निकालकर मिश्री मिलाकर प्रातः पीते रहने से पुरानी खाँसी ठीक हो जाती है।

सूखी खाँसी– ( 1 ) जब तक खाँसी रहे, सेब पर कालीमिर्च और मिश्री डालकर खाते रहें। गले में खरखरी चलकर आने वाली खाँसी व बार – बार उठने वाली खाँसी में लाभ होगा।

( 2 ) नित्य पके हुए मीठे सेब खाते रहने से सूखी खाँसी में लाभ होता है। आंत्रज्वर ( Typhoid ) आंत्रज्वर में सेब का रस बहुत लाभदायक है।

हृदय शक्तिवर्धक– सेब का मुरब्बा 15-20 दिन खाने से हृदय की दुर्बलता, दिल बैठना ठीक हो जाता है।

उच्च रक्तचाप ( High Blood Pressure )– उच्च रक्तचाप होने पर दो सेब नित्य खाने से लाभ होता है। उच्च रक्तचाप में सेब खाने से पेशाब अधिक व जल्दी – जल्दी आता है। इससे शरीर का नमक बाहर निकल जाता है। गुर्दों को आराम मिलता है।

स्मरण शक्तिवर्धक – जिन व्यक्तियों के मस्तिष्क और स्नायु दुर्बल हो गए हों, विद्यार्थियों को याद नहीं रहता हो, उन्हें सेब खाना चाहिए। सेब के सेवन से नाड़ियों की शक्ति व स्मरण शक्ति बढ़ जाती है तथा बेहोशी, उन्माद, चिड़चिड़ापन में लाभ होता है। इसके लिए एक या दो सेब बिना छिले चबा – चबाकर भोजन से पन्द्रह मिनट पहले खायें।

अधिक प्यास– सेब का रस पानी में मिलाकर पीने से प्यास कम लगती है। जिन्हें वायु विकार हो, उन्हें यह लाभदायक नहीं होगा।

पथरी- गुर्दे और मूत्राशय में पथरियाँ बनती रहती हैं। ऑपरेशन कराके निकाल देने के पश्चात् भी प्रायः पथरी बन जाती है। सेब का रस पीते रहने से पथरी बनना बन्द हो जाता है तथा बनी हुई पथरी घिस घिसकर मूत्र द्वारा बाहर आ जाती है। यह वृक्कों तथा मूत्राशय को शुद्ध करता है, गुर्दे का दर्द दूर होता है। यदि कुछ दिन केवल सेब ही खाकर रहें तो पथरी निकल जाती है अधिक भूख लगे तो अन्य शाक, फल खायें।

बहुमूत्र – सेब खाने से रात को बार – बार मूत्र जाना कम हो जाता है।

सिरदर्द– सेब पर नमक व कालीमिर्च लगाकर 20-25 दिन खाने से सिरदर्द में लाभ होता है। एक या दो सेब नमक व कालीमिर्च लगाकर प्रातः भूखे पेट चबा – चबाकर नित्य खायें। इसके बाद गर्म पानी या गर्म दूध पियें।

अनिद्रा ( Insomnia )- ( 1 ) अनिद्रा होने पर सेब का मुरब्बा खाने से निद्रा ने लगती है। सेब खाकर सोना भी नींद लाने में सहायक है।

( 2 ) एक सेब के छोटे – छोटे टुकड़े करके दो गिलास पानी में उबालें। फिर ठण्डा करके सेब को मसल कर पानी छानकर स्वादानुसार नमक मिलाकर पीने से नींद आती है।

बच्चों के दस्त – जब बच्चों को दूध नहीं पचता हो, दूध पीते ही कै और दस्त हों तो उनका दूध बन्द करके थोड़े – थोड़े समय के बाद सेब का रस पिलाने से क्रै और दस्तों में आराम आ जाता है। पुराने दस्तों में सेब का रस लाभदायक है। मरोड़ लगकर होने वाले बड़े लोगों के दस्तों में भी यह लाभदायक है। सेब का रस खून के दस्तों को बन्द करता है। दस्तों में सेब बिना छिलके वाली होनी चाहिए। दस्तों में सेब का मुरब्बा भी लाभदायक है। सेब के छिलके उतारकर छोटे – छोटे टुकड़े करके दूध में उबालें। इस दूध का आधा कप प्रति घण्टे से पिलाने से दस्त विशेषकर गर्मी में होने वाले दस्त बन्द हो जाते हैं।

उल्टी – सेब के रस में स्वाद के अनुसार नमक मिलाकर पीने से उल्टी होना बन्द हो जाता है।

गर्भावस्था की उल्टी में लाभ

सेब के बीज आधा चम्मच, दो कप पानी में डालकर उबालें। एक कप पानी रहने पर छानकर सुबह – शाम पियें। गर्भावस्था में होने वाली उल्टियाँ बन्द हो जायेंगी।

ई – कोलाई– सेब व दालचीनी में एंटीऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में होते हैं। उबला सेब व दालचीनी उल्टी – दस्त के रोगियों के लिए लाभकारी है क्योंकि इनमें ई – कोलाई नाम के बैक्टीरिया को मारने की क्षमता होती है। क्रीम न मिलाएँ तो रोगियों को तुरन्त आराम मिलेगा।

यकृत ( Liver ) —सेब यकृत रोगों में लाभदायक है। इससे यकृत को शक्ति मिलती है। है

गैस- सेब का रस पाचन अंगों पर एक पतली तह चढ़ा देता है जिससे वे संक्रमण और बदबू से बचे रहते हैं। वायु उत्पन्न होना रुक जाता है। मलाशय और निचली आँतों में दुर्गन्ध, संक्रमण नहीं होता। सेब का रस पीने के बाद गर्म पानी पीना चाहिए। आँतों में घाव, शोथ रहने पर सेब का रस पीते रहने से आराम मिलता है।

कब्ज़- प्रातः भूखे पेट तथा खाना खाने के बाद शाम को एक सेब खाने से कब्ज दूर होती है। सेब का छिलका दस्तावर भी होता है। कब्ज़ वालों को सेब छिलके सहित खाना चाहिए, दस्त वालों को बिना छिलके के।

कृमि – दो सेब रात को सोते समय कुछ दिन, कम – से कम सात दिन  खाने से कृमि मरकर व मल के साथ बाहर आ जाते हैं। सेब खाने के बाद रात भर पानी न पिये।

त्वचा – सेब के रस में शहद मिलाकर नित्य दो बार चेहरे पर लगायें। इससे सर्दी के मौसम में त्वचा की कोमलता बनी रहती है। यदि आपकी त्वचा तैलीय है तो आपको चाहिए कि एक सेब को अच्छी तरह पीस लें और उस लुगदी की पतली तह चेहरे पर चढ़ा लें। दस मिनट बाद गर्म पानी से धो डालें।

मस्से ( Warts )– खट्टे सेब का रस मस्सों पर लगाने से मस्सों के छोटे – छोटे होकर जड़ से गिर जाते हैं।

मात्रा — एक बार में एक से तीन सेब तक, जितने खाए जा सकें, खायें।

सावधानी – गला बैठने पर सेब न खायें। गाने वाले सेब न खायें।

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