भगवन शिव का शम्भु स्वरुप : लीला विस्तार को उत्पन्न किये विष्णु- ब्रह्मा
शम्भु न जानामि योगं जपं नैव पूजां नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यम् । जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो। श्रोत – श्रीरुद्राष्टकम् – 8 भावार्थ- मै न तो योग जानता हूं, न जप और न पूजा ही. हे शम्भो, मैं तो सदा-सर्वदा आप को ही नमस्कार करता हूं. हे प्रभो! बुढ़ापा तथा … Continue reading भगवन शिव का शम्भु स्वरुप : लीला विस्तार को उत्पन्न किये विष्णु- ब्रह्मा
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