श्रावण मास में महामृत्युंजय एवं रुद्राभिषेक व शिव पूजा का विशेष मुहूर्त
25 जुलाई 2021 रविवार से श्रावण मास प्रारंभ हो रहा है श्रावण मास में शिव पूजन का विशेष महत्व है जो प्रतिदिन पूजा ना कर सके उन्हें सोमवार के दिन शिव जी की पूजा एवं व्रत रखना चाहिए इस मास में लघु रूद्र महारुद्र अथवा अतिरूद्र पाठ करने का विधान भी है श्रावण में पार्थिव शिव पूजा का विशेष महत्व है⛳⛳
कृष्ण पक्ष
26 जुलाई सोमवार
2 अगस्त सोमवार
5 अगस्त प्रदोष व्रत सर्वार्थ सिद्धि योग
6अगस्त मासिक शिवरात्रि
8अगस्त अमावस्या
शुक्ल पक्ष
9अगस्त सोमवार
13अगस्त नागपंचमी तक्षक पूजा शुक्रवार
16अगस्त सोमवार
20 अगस्त प्रदोष व्रत
22 अगस्त श्रावणी, रक्षाबंधन तथा पूर्णिमा रविवार
30 जुलाई शुक्रवार श्री शीतला सप्तमी की पूजा की जाएगी 4 अगस्त बुधवार को कामदा एकादशी व्रत सबका होगा📿
11 अगस्त बुधवार मधुश्रावणी हरियाली तीज व्रत होगा 12 अगस्त गुरुवार को वैनायकी गणेश चतुर्थी है पं देवेन्द्र नाथ शास्त्री के अनुसार 13 अगस्त शुक्रवार नागपंचमी होगी आज गृह द्वार के दोनों तरफ नाग का चित्र फोटो लगाकर गोबर से सर्प की आकृति बनाकर दूध एवं जल से तर्पण करके दही दुर्वांकुर धूप दीप पुष्प माला आदि से विधिपूर्वक पूजन कर गेहूं दूध धान का लावा का भोग लगाना चाहिए इससे पद्म तक्षक आदिनाग गण संतुष्ट होते हैं तथा पूजन कर्ता के 7 कुलों तक सर्प भय नहीं होता है।
सावन सोमवार व्रत का महत्व
देवेन्द्र नाथ शास्त्री जी के अनुसार सावन का महिना भगवान शिव को बेहद प्रिय होता है. इस दौरान भगवान शिव पृथ्वी पर लोगों की देखभाल की जिम्मेदारी होती है और वे पृथ्वी लोक पर विचरण करते हैं. शिव भक्त इसी महीने में कांवड़ लेकर आते हैं और उस कांवड़ में भरे गंगा जल से शिवजी का जलाभिषेक करते हैं।सावन के महीने में सोमवार का व्रत रखकर शिव की अराधना करते हैं,इससे शिव जी प्रशन्न होकर अपने भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करते हैं।उनके सभी कष्ट दूर करते हैं, मान्यता है कि कुवांरी कन्याओं द्वारा सोमवार का व्रत रखने और भगवान शिव की आराधना करने से उन्हें मनवांछित वर प्राप्त होने का वरदान देते हैं।
जानिए किन-किन चीजों से करना चाहिए रुद्राभिषेक
जल से अभिषेक करने पर वर्षा होती है।
• असाध्य रोगों को शांत करने के लिए कुशोदक से रुद्राभिषेक करें।
• भवन-वाहन के लिए दही से रुद्राभिषेक करें।
• लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें।
• धनवृद्धि के लिए शहद एवं घी से अभिषेक करें।
• तीर्थ के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
• इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है।
• पुत्र प्राप्ति के लिए दुग्ध से और यदि संतान उत्पन्न होकर मृत पैदा हो तो गोदुग्ध से रुद्राभिषेक करें।
• रुद्राभिषेक से योग्य तथा विद्वान संतान की प्राप्ति होती है।
• ज्वर की शांति हेतु शीतल जल/ गंगाजल से रुद्राभिषेक करें।
• सहस्रनाम मंत्रों का उच्चारण करते हुए घृत की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है।
• प्रमेह रोग की शांति भी दुग्धाभिषेक से हो जाती है।
• शकर मिले दूध से अभिषेक करने पर जड़बुद्धि वाला भी विद्वान हो जाता है।
• सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रु पराजित होता है।
• शहद के द्वारा अभिषेक करने पर यक्ष्मा(तपेदिक)दूर हो जाती है।
• पातकों को नष्ट करने की कामना होने पर भी शहद से रुद्राभिषेक करें।
• गोदुग्ध से तथा शुद्ध घी द्वारा अभिषेक करने से आरोग्यता प्राप्त होती है।
• पुत्र की कामना वाले व्यक्ति शकर मिश्रित जल से अभिषेक करें। ऐसे तो अभिषेक साधारण रूप से जल से ही होता है।
पं. देवेन्द्र नाथ शास्त्री
लखीमपुर खीरी (उ ०प्र०)
ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय!