भगवान भूतभावन का स्वरूप यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्बारकापुरी से करीब 25 किलोमीटर दूर स्थित है। पुराणों में इस ज्योतिर्लिंग को लेकर पावन कथा का वर्णन है। हालाँकि ज्योतिलिंग नागेश्वर की स्थिति के बारे में विद्वानों में काफी मतभेद है। कुछ लोग इसकी स्थिति महाराष्ट्र में तथा कई लोग नागेश्वर तीर्थ उत्तरांचल में स्थित जागेश्वर शिवालय को मानते हैं, लेकिन विद्वानों ने अनुसंधान के बाद ‘ शिवपुराण ‘ के वर्णन के अनुसार गुजरात में द्वारका के पास स्थित नागेश्वर को ही ज्योतिर्लिंग होने की मान्यता प्रदान की है। द्वारका से नागेश्वर का फासला मात्र 25 किलोमीटर है और यह द्वारका के पूर्वोत्तर में स्थित है। शिवपुराण में इसका माहात्म्य परमपददायी तीर्थ के रूप में वर्णित है, जो कोई सादर नागेश की उत्पत्ति बावत सुनेगा वह समस्त कामनाओं को पूर्ण करके परमपद प्राप्त करेगा।
श्री नागेश्वर द्वादश ज्योतिर्लिंग की धार्मिक पृष्ठभूमि
तीर्थ की स्थापना से संबंधित धार्मिक कथा एक शिवभक्त सुप्रिय नामक व्यापारी से संबंधित है। यह व्यापारी शिवभक्त तथा धर्मात्मा था। एक बार नौका से कहीं जा रहा था, तो दारुक राक्षस ने उस पर आक्रमण करके उसे और साथ के अन्य लोगों को बंदी बना लिया। फिर भी सुप्रिय शिव आराधना में लगा रहा। दारुक यह खबर सुनकर सुप्रिय की खबर लेने आया। पर सुप्रिय का ध्यान न हटा। कारागार में ही सुप्रिय की भक्ति से शिवजी प्रकट हुए और अपना पाशुपत देकर अंतर्धान हो गए। उसी से सुप्रिय ने दारुक तथा अन्य राक्षसों का संहार किया। शिव के आदेशानुसार ही इस ज्योतिलिंग का नाम नागेश पड़ा।
तीर्थस्थल का दर्शनीय विवरण
आज से 30 वर्ष पहले यह मंदिर बहुत ही छोटा था और एक छोटी गुफा के अंदर स्थित था, जिसमें यात्री एक और से प्रवेश करके दूसरी ओर से दर्शन करके बाहर आ जाते थे। परंतु कुछ वर्ष पश्चात भजन गायक कैसेट निर्माता श्री गुलशन कुमार ने इस स्थान पर उतना ही भव्य व सुंदर मंदिर बनवाया जैसा कि अन्य ज्योतिलिंगों के प्राचीन मंदिर हैं। यहां का मंदिर प्रांगण भव्य है और ठहरने हेतु कुछ कमरे उपलब्ध हैं।
मंदिर के पास ही लगभग सवा सौ फीट ऊंची शंकर भगवान की मूर्ति स्थापित है। जहां तक ज्योतिलिंग का प्रश्न है, वह आज भी छोटा है व अपने मूल स्थान पर ही अवस्थित है। केवल मंदिर भव्य बन गया है। मंदिर के अंदर प्राचीन मंदिर की फोटो भी लगी है। हालाँकि, नागेश्वर में उचित व्यवस्था नहीं है। अत : यात्री द्वारका में ही रुकते हैं, जहां धर्मशालाएं, होटल तथा अतिथि गृह बहुतायत से उपलब्ध हैं।
नगर के अन्य तीर्थस्थल
द्वारका धाम मंदिर : यहीं पर यात्री ठहरते हैं और प्रसिद्ध चार धामों में से एक द्वारका धाम के दर्शन करते हैं।
भेट द्वारका : समुद्र के मध्य टापू पर स्थित प्राचीन द्वारका के दर्शन भी किए जाते हैं ।
गोपी तालाब: नागेस्वर से लगभग तीन किलोमीटर पर एक कच्चा तालाब है, जिसकी मिट्टी पीली है और इसे ही गोपी चंदन के रूप में प्रयोग में लाया जाता है।
गोपीनाथ मंदिर : गोपी तालाब के पास ही एक गोपीनाथ का मंदिर है।
वल्लभाचार्य बैठक : यह भी यहीं पास में स्थित है।
अन्य मंदिर: इसके अतिरिक्त यहाँ पर अनेक मंदिर है, जिसमे राधाकृष्ण मंदिर विशेष है|
यात्रा के लिए मार्ग:
अहमदाबाद हवाई अड्डे से ही यहां पहुंचा जा सकता है। रेल मार्ग अहमदाबाद से ओखा जाने वाली सभी रेलें द्वारका स्टेशन पर रुकती हैं। यात्री द्वारका में ही ठहरते हैं और यहां से 20 किलोमीटर दूर स्थित इस मंदिर की यात्रा टैंपो, टूसीटर तांगे आदि से करके उसी दिन वापस आ जाते हैं।
श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के पूजन से मिलता है समस्त पापों से छुटकारा