किसी भी साधना का आधार पूर्ण विश्वास होता है। अगर संशय के भाव के साथ कोई भी कार्य किया जाये तो उसकी सफलता भी संशयपूर्ण बन जाती है। श्री राम के प्रभाव से मनुष्य के दोनों लोकों का कल्याण होता है। वैसे तो भगवान का सच्चे मनोभाव से ध्यान व पूजन किया जाए तो वह सहज ही प्रसन्न होते है। लेकिन यहां हम आपको प्रभावशाली मंत्र बता रहे है, जिसक प्रभाव से घाव व पीड़ा का अंत होता है। श्री राम के चरणों में पूर्ण श्रद्धाभाव को रखकर यदि यह साधना की जाए तो मनुष्य का कल्याण होता है, उसे मनोकूल फल की प्राप्त होती है। इस साधना की प्रक्रिया से हम आपको अवगत कराने जा रहे हैं, इससे पूर्व आप वह मंत्र जानिए, जिसके प्रभाव से पीड़ा व घाव ठीक हो जाता है।
मंत्र है-
युद्ध किए राम लषण दुई भाई।
बाल्मीकि के मंत्र पढ़ि बाण जन्माई।
बाण से बाण कटे हो बाण वरिषन।
अर्द्ध चंद्रहास से कपैं राम लक्षिमन।
आदेश मुनि बाल्मीकि का और दुहाई।
नाम की पीर व्यथा कटि जाई।।
मंत्र को सिद्ध करने की विधि-
देह पर कहीं चोट लगने और पीड़ा होने पर इस मंत्र को सात बार पढ़ते हुए चोट के ऊपर सात बार फूंक मारें तो पीड़ा शांत हो जाती है। हां, इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है, श्री राम के चरण कमलों में पूर्ण श्रद्ध भाव रखकर मंत्र का जप करें। इससे पूर्व गणपति का ध्यान जरूर कर लें।