sikkhon ke desh- videsh mein kuchh teerth
स्वर्णमंदिर :अमृतसर, दिल्ली तथा भारत के अन्य महत्त्वपूर्ण नगरों से रेल तथा सड़क मार्ग से जुड़ा है, जिसकी वजह से यहां साल भर यात्रीगण आते रहते हैं। अमृतसर, अंबाला, चंडीगढ़, दिल्ली, फिरोज़पुर, जम्मू आदि से अच्छी तरह जुड़ा है। स्वर्ण मंदिर अमृतसर में स्थित हैं और अपनी पावनता और सुंदरता के कारण हमेशा से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है।स्वर्णिम किरणें बिखेरने वाला यह मंदिर केवल सिक्खों के लिए ही नहीं, बल्कि अनगिनत श्रद्धालुओं व पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। एक सुंदर सरोवर के मध्य में स्थित यह स्वर्ण मंदिर संसार भर के सिक्खों के लिए सर्वश्रेष्ठ तीर्थस्थान है।
पटना साहिब : सिक्ख तीर्थों में पटना साहिब का महत्त्व अन्यतम है। सिक्खों के अंतिम गुरु गोविंद सिंहजी का जन्म यहां हुआ था और आज भी यहां उनके चरण – चिह्नों को पूजा जाता है। बिहार की राजधानी पटना जंक्शन से लगभग 10 किलोमीटर दूर है गुरु गोविंद सिंह की जन्मस्थली पटना साहिब। यहां पटना सिटी में एक गली के अंदर एक विशाल गुरुद्वारे में गुरु गोविंद सिंहजी की चरणपादुकाएं हैं। यहां प्रतिदिन गुरुग्रंथ साहिब का पाठ होता है। पटना देश के महत्त्वपूर्ण नगरों से वायुयान व रेल मार्ग से जुड़ा है। शहर से ऑटो भी गुरुद्वारा तक जाते हैं।
करतारपुर : सभी तीर्थों पर भ्रमण करके तथा लोगों को सम – धर्म का उपदेश देते हुए 70 वर्ष की उम्र में गुरु नानकदेव करतारपुर में आकर बस गए थे। वे यहां के लोगों को लंगर के रूप में अन्न वितरित करते और उपदेश देते। सन् 1539 में वे यहीं से स्वर्ग सिधार गए। अत : यह स्थान सिक्खों का प्रमुख तीर्थ है। इसके अतिरिक्त सिक्खों के कई अन्य तीर्थ भी हैं; जैसे – हेमकुंड, नांदेड, ननकाना साहिब एवं पंजा साहिब। ननकाना साहिब और पंजा साहिब अब पाकिस्तान में हैं, जहां पाकिस्तानी प्रशासन से वीजा प्राप्त करके ही जाया जा सकता है। हेमकुंड उत्तरांचल में है।
आनंदपुर साहिब : आनंदपुर साहिब भी मुख्य श्रद्धा का केंद्र है। आनंदपुर साहिब एक ऐतिहासिक तथा धार्मिक नगर है। इसकी स्थापना सिक्खों के 9 वें गुरु तेगबहादुर ने 17 वीं सदी में की थी। यहां के प्रसिद्ध गुरुद्वारे हैं – श्रीकेशगढ़ साहिब, आनंदगढ़ साहिब, शीशगंज साहिब और लौहगढ़ साहिब। केशगढ़ साहिब गुरुद्वारे के स्थान पर गुरुगोविंद सिंह ने अपने अनुयायियों को दीक्षा दी थी और उन्हें सैनिक बाना पहनने को कहा था। मार्च के महीने में यहां एक विशाल मेला लगता है। बैसाखी के दिन गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ का निर्माण किया था। बैसाखी के दिन ही आनंदपुर साहिब के केशगढ़ गुरुद्वारा में पंच प्यारे चुने गए थे। आनंदपुर साहिब से केवल 8 मील की दूरी पर नैनादेवी का मंदिर है। आनंदपुर साहिब आने वाले श्रद्धालु एवं पर्यटक नैना देवी का मंदिर अवश्य देखकर जाते हैं।
शीशगंज : दिल्ली में शीशगंज, रकाबगंज गुरुद्वारा, बंगला साहिब आदि कई पवित्र गुरुद्वारे हैं। पर्यटकों के लिए यहां दर्शनीय स्थलों की कमी नहीं है। इन गुरुद्वारों के बिल्कुल नज़दीक सार्वजनिक परिवहन उपलब्ध है।