लखनऊ। BJP राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि एक प्रख्यात समाजवादी कवि हुए हैं देवरिया के थे गोरख पाण्डंये उन्होंने बहुत पहले लिखी थी। आज के समय में समाजवादियों पर बिलकुल उपयुक्त आती है। उन्होंने कहा था
‘समाजवाद बबुआ धीरे-धीरे आई,
वादा से आई-लबादा से आई,
हरदम आकाशे रहा तकाई आई,
धीरे-धीरे आई, चुपके-चुपके आई,
अंखियन पर आकर पर्दा लगाई,
समाजवादी बबुआ धीरे धीरे आई।
तो आज जो बबुआ बोले रहे है जो पर्दा लगाने की कोशिश कर रहे हैं तो सोचें कि जातिवाद का पर्दा लगाकर अपने परिवार की सत्ता और शक्ति को अपने हाथ में केन्द्रित रखने का जो प्रयास कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश की जनता बहुत बद्धिमान समझदार है।
उन्होंने कहा कि एक दैवीय संयोग भी है गोरक्षपीठ से राम मंदिर का संबंध क्या है। दिसम्बर 1949 में जब वहां श्री रामलला प्रकट हुए थे तो उनकी सबसे पहले पूजा अर्चना किसने की थी। दिग्विजय नाथ जी ने पूजा करी। 1986, 88 में प्रखरखता से उभर कर आया तो गोरक्षपीठ के अध्यक्ष कौन बने दिग्विजय नाथ जी के शिष्य और यही के महंत महंत अवैधनाथ जी और जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने न्यायालय का निर्णय आने के बाद राम मंदिर का शिलान्यास किया तो हमारे मुख्यमंत्री कौन थे इसी गोरक्षपीठ के महंत योगी आदित्यनाथ जी।
अतः गोरखपुर का एक गहरा सांस्कृतिक, आत्मिक संबंध भारत के सांस्कृतिक गौरव के उत्थान के साथ जुड़ा है।