ज़मज़म शिविर पर कब्ज़ा के बाद सूडान युद्ध बढ़ने से चिंतित

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संयुक्त राष्ट्र, 17 अप्रैल (एजेंसी)। संयुक्त राष्ट्र ने उत्तरी दारफुर में ज़मज़म विस्थापन शिविर पर सशस्त्र समूहों द्वारा कब्जा किए जाने और अत्याचारों की खबरों के बाद सूडान में बढ़ते युद्ध को लेकर चिंता जतायी है।
मानवीय मामलों के समन्वय हेतु संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (ओसीएचए) ने बुधवार को कहा कि वह उत्तरी दारफुर राज्य की राजधानी एल फशेर और उसके आसपास की मानवीय स्थिति को लेकर बहुत चिंतित है, जो विशाल और अकालग्रस्त शिविर से केवल 15 किमी उत्तर में स्थित है।


ओसीएचए ने कहा कि स्थानीय साझेदारों ने ज़मज़म विस्थापन शिविर पर सशस्त्र समूहों द्वारा कथित कब्जा के बाद अत्याचारों की बहुत परेशान करने वाली रिपोर्टें दी हैं। मानवीय कार्यकर्ताओं सहित नागरिकों को कथित रूप से जाने से रोका जा रहा है और बचे लोग लक्षित हत्याओं, यौन हिंसा और घरों की आगजनी के शिकार हो रहे हैं।

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संयुक्त राष्ट्र महासचिव की सहयोगी प्रवक्ता स्टेफनी ट्रेम्बले से सूडान की राजधानी खार्तूम में अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्स (आरएसएफ) द्वारा समानांतर सरकार स्थापित करने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इससे सूडान संघर्ष का समाधान और मुश्किल हो जाएगा, जिसे केवल सार्थक, समावेशी वार्ता के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है।
इस सप्ताह के आरंभ में, ज़मज़म शिविर में रहने वाले अनुमानित पांच लाख लोगों में से लगभग चार लाख लोग आरएफएस मिलिशिया से संबद्ध सशस्त्र समूहों के हमले के कारण वहां से पलायन कर गए।


ओसीएचए ने स्थानीय सूत्रों के हवाले से कहा कि अत्यधिक असुरक्षा और लगातार हमलों के बीच लोग एल फशेर के पश्चिम और दक्षिण-पश्चिम में क्रमशः जेबेल मार्रा और तावीला जैसे क्षेत्रों की ओर पलायन कर रहे हैं।


मंगलवार को खार्तूम में आरएसएफ के हमलों की दूसरी बरसी मनाई गई, जिससे युद्ध भड़क उठा, जिसमें लगभग 30,000 लोगों की जान गई, लगभग 1.3 करोड़ लोगों को अपने घरों से बेघर होना पड़ा, जिनमें से 40 लाख लोग पड़ोसी देशों में चले गए तथा पांच करोड़ की आबादी में से लगभग आधी आबादी भूखी रह गई।


कार्यालय ने कहा कि “एक बार फिर, ओसीएचए संघर्ष में शामिल सभी पक्षों से नागरिकों की सुरक्षा और मानवीय पहुंच को सुगम बनाने का आह्वान करता है। हम सूडान में सबसे कमजोर लोगों को आवश्यक सेवाएं और मानवीय सहायता जारी रखने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समर्थन बढ़ाने का भी आग्रह करते हैं।”

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