अगर किसी जातक के ग्रह अशांत हों और वह रत्न पहनना चाहता है तो उसे रत्न की विधि-विधान से पूजा-उपासना और मंत्रोच्चार करने से पूर्व वैदिक मंत्रों के द्बारा ग्रहों को शांत कर लेना चाहिए। जानिए, सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु व केतु के वैदिक मंत्र-
सूर्य का वैदिक मंत्र-
ओम् आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयंनमतं मत्यंन्च।
यह भी पढ़ें –जानिये रत्न धारण करने के मंत्र
हिरण्येन सवितारथेन देवो याति भुवनानि पश्यन।
सूर्याय नम:।
चंद्र का वैदिक मंत्र-
ओम् इमं देवा आसपत्न सुवंगं बध्व महते क्षत्राय
महते ज्येष्ठाय महते जानराज्यायेन्द्रिस्येन्द्रियाय
इममनुष्य पुत्रमुष्यै पुत्रमस्यै विश्अएष वोअसी
राजा सोमोअस्माकं ब्राह्मणानां ओम् राजा चंद्राय नम:।
मंगल का वैदिक मंत्र-
ओम् अग्निर्मूद्धा दिव: ककुत्पति पृथिव्याअयम।
अपा ग्वं रेता ग्वं सिजिन्वति। भौमाय नम:।
बुध का वैदिक मंत्र-
ओम् उद्बुध्यस्वाग्ने प्रति जागृहित्वमिष्टापूर्ते
स ग्वं सृजेथामयं च। अस्मिंसधस्थोअध्युत्तरस्मिन्
विश्वे देवा यतमानश्य सीदत। बुधाय नम:।
गुरु का वैदिक मंत्र-
ओम् बूहस्पतेअआतयदर्यो आर्हाद्युमद्बिभागति
क्रषुतनेन्त। यद्दीयद्दवसअश्रत प्रजातमदस्मासु
द्रविणं ध्ोहिचित्रम्। बृहस्पतये नम:।
शुक्र का वैदिक मंत्र-
ओम् अन्नात्सरिस्त्रतों रसं ब्रह्मणाव्यपिवत
क्षत्रं पय: सोमं प्रजापति: ऋतेन सत्यमिद्रिंयं
विपात ग्वं शुक्र मधसअइन्द्रस्योमिदं पयोअमृतं मधु। शुक्राय नम:।
शनि का वैदिक मंत्र-
ओम् शन्नो देविरभिष्ट्य आपो भवंतु पीतये।
शयोरभिस्त्रवंतु न:। शनैश्चराय नम:।
राहु का वैदिक मंत्र-
ओम् कयानश्चित्रअआभुवदूती सदावृध: सखा
कयाशचिष्ठया वृता। राहवे नम:।
केतु का वैदिक मंत्र-
ओम् केतुंकृष्वन्न केतवे पेशो मर्याअअपेशसे
समुषम्दिरजार्यथा। केवते नम:।
यह भी पढ़े- इस मंत्र के जप से प्रसन्न होते हैं बृहस्पति देव, जानिए बृहस्पति देव की महिमा
यह भी पढ़े- इस मंत्र से शांत होते हैं नवग्रह
यह भी पढ़े- भगवती दुर्गा के 51 शक्तिपीठ, जो देते हैं भक्ति-मुक्ति, ऐसे पहुचें दर्शन को