सूर्य देव जिस पर कृपा करते है, उसका कल्याण होता है। उन्हें प्रसन्न करने के यूं तो विभिन्न प्रभावी मंत्र है, साधनाएं है, लेकिन कुछ सहज मार्ग भी है, जिसके जरिए सूर्य देव की कृपा प्राप्त की जा सकती है। सूर्य देव की प्रसन्नता से मनुष्य के संकट कम होते हैं और दूर भी हो जाते हैं। आइये जानते हैं, सूर्य देव को प्रसन्न करने के कुछ सहज उपाय-
1- अगर संतान बाधा कारक ग्रह सूर्य हैं तो यह मानना चाहिए कि भगवान शंकर और गरुड़ के द्रोह करने के कारण या फिर पितर दोष के कारण व्यक्ति को संतान सुख नहीं है, इसलिए सूर्य के वेदोक्त मंत्रों के सात हजार जप और तत्सम्बन्धित वस्तुओं का दान और सूर्य को अध्र्य देते हुए रविवार का व्रत नियमित रूप से करनाा चाहिए। विधि के अनुसार पितर दोष की शांति कराना भी आवश्यक होता है।
2- घर का आंगन खुला रखना चाहिए। साथ ही घर के द्बार पूर्व की ओर रखने चाहिए।
3- धर्म संगत आचरण करना चाहिए। आचार-विचार शुद्ध कर शुभ कर्मों में लगना चाहिए। इससे सूर्य देव प्रसन्न होते हैं।
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4- सूर्य पीड़ा की विश्ोष शांति के लिए इलायची,साठी चावल, खस, मधु,कमल, अमलतास, कुमकुम मैनसिल और देवदार मिलाकर सात रविवार को स्नान करना चाहिए या कनेर, महुआ के पुष्प व सुगन्ध वाला सबका चूर्ण मिलाकर रविवार के दिन स्नान करना चाहिए।
5- सूर्य कृत सभी अरिष्टों के शमन करने के लिए सूर्य यंत्र विधिवत अनुष्ठान और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ सर्वोत्तम और अमोघ है। इससे सभी शारीरिक व्याधियां, शत्रु बाधा, सरकारी कार्य, विवाह आदि में निश्चित लाभ मिलता है।
6- नेत्र व्याधियों में सूर्य नमस्कार समेत नेत्रोपनिषद् का नित्य पाठ करना श्रेयस्कर होता है।
7- संक्रांति के दिन तुलादान सूर्य शांति के लिए लाभदायक है।
8- प्रत्येक रविवार के दिन बहते पानी में गुड़ बहाना चाहिए।
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9- सोना, ताम्बा व गुड़ आदि का दान करना श्रेयस्कर होता है।
1०- बंदरों को गुड़ व चने खिलायें या फिर बंदर का पालन कीजिए।
11- ग्यारह रविवार दोपहर में केवल दही-भात का सेवन करना चाहिए।
12- लगातार पांच, ग्यारह या 43 रविवार का व्रत रखने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं।
13- लगातार 11 या 21 रविवार तक कमल के लाल पुष्प को गण्ोश जी पर अर्पित करना चाहिए। इससे सूर्य की शांति होती है। लाभ होता है।
14- रविवार को नमक का त्याग करना श्रेयस्कर होता है।
15- सूर्य यदि पाप ग्रह हो। विश्ोष रूप से शनि या राहु की युति में हो तो विधिवत रुद्राभिष्ोक करना चाहिए या फिर कराना चाहिए।
16- प्रतिदिन लाल चंदन और केसर मिश्रित जल से सूर्यांजलि दें और गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए।
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