ईरान, अमेरिका के बीच ओमान में बातचीत

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परमाणु कार्यक्रम अमेरिकी प्रतिबंध हटाने पर केंद्रित रही

तेहरान, 14 अप्रैल (एजेंसी)। ईरान ने कहा है कि ओमान में अमेरिका के साथ उसकी वार्ता केवल ईरानी परमाणु कार्यक्रम और अमेरिकी प्रतिबंधों को हटाने पर केन्द्रित रही।

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता एस्माईल बाघई ने रविवार को सरकारी टेलीविजन से कहा कि वार्ता में ईरान का रुख अपरिवर्तित रहा तथा अपने परमाणु अधिकारों को संरक्षित करने और अमेरिकी प्रतिबंधों को हटाने पर केन्द्रित रहा।
ईरान के विदेश मंत्री सईद अब्बास अराघची और मध्य पूर्व में अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ के बीच शनिवार को हुई मध्यस्थों के जरिए वार्ता आयोजित की गई।


श्री बाघई ने कहा कि ईरान अपने परमाणु बुनियादी ढांचे और उपलब्धियों को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है, साथ ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अपनी परमाणु गतिविधियों की शांतिपूर्ण प्रकृति के बारे में आश्वस्त करने के लिए बातचीत में शामिल होने की अपनी इच्छा भी प्रदर्शित करता है। उन्होंने कहा “ ईरान परमाणु अप्रसार संधि के सदस्य और आईएईए (अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) सुरक्षा समझौतों पर हस्ताक्षरकर्ता के रूप में अपने वैध अधिकारों की रक्षा के लिए सभी कानूनी और कूटनीतिक साधनों का उपयोग करने के लिए खुद को बाध्य मानता है।”
बैठक के बाद मस्कट में पत्रकारों से बात करते हुए श्री अराघची ने वार्ता के पहले दौर को रचनात्मक बताया और इसे शांत और सम्मानजनक माहौल में आयोजित किया। उन्होंने कहा “ किसी भी अनुचित भाषा का इस्तेमाल नहीं किया गया और दोनों पक्षों ने समान स्तर पर बातचीत को आगे बढ़ाकर पारस्परिक रूप से लाभकारी समझौते की दिशा में प्रतिबद्धता दिखाई।”


उन्होंने कहा कि अगले शनिवार को वार्ता का दूसरा दौर निर्धारित किया गया है, संभवतः किसी अन्य स्थान पर। मस्कट चर्चा मार्च में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की घोषणा के बाद हुई थी कि उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात के माध्यम से ईरानी नेताओं को परमाणु वार्ता का प्रस्ताव देते हुए एक पत्र भेजा है। ईरान ने बाद में पत्र प्राप्त करने की पुष्टि की और अप्रत्यक्ष जुड़ाव के लिए खुलापन व्यक्त किया।


ईरान ने छह विश्व शक्तियों, अर्थात् संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के साथ 2015 संयुक्त व्यापक कार्य योजना (जेसीपीओए) पर हस्ताक्षर किए, जिसमें प्रतिबंधों में राहत के बदले में अपने परमाणु कार्यक्रम को रोकने पर सहमति व्यक्त की गई। अमेरिका ने 2018 में एकतरफा रूप से समझौते से वापस ले लिया और प्रतिबंधों को फिर से लागू कर दिया, जिससे तेहरान को अपनी परमाणु प्रतिबद्धताओं को कम करना पड़ा।

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