साजिश के तहत हुई थी स्वामी, सैनी, चौहान की बगावत!

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2022 के विधानसभा चुनाव में योगी के खिलाफ साजिश के तहत हुई थी स्वामी, सैनी, चौहान की बगावत!2022 के विधानसभा चुना

मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। विधानसभा चुनाव 2022 में पिछड़े वर्ग के मंत्रियों द्वारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर पिछड़ा विरोधी होने का आरोप लगा कर समाजवादी पार्टी में शामिल होगा महज संजोग था या उनकी तेजी से बढ़ती लोकप्रियता पर अंकुश लगाने के लिये गुजरात गैंग की साजिश थी। तत्कालीन योगी कैबिनेट के तीन मंत्रियों स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान और धर्म सिंग सैनी ने ठीक चुनाव पूर्व भाजपा छोड़ सपा में जाकर भाजपा को बैकफुट पर पहुंचा दिया था। लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दल बदल की साजिश की चुनौती को स्वीकार करते हुये फिर से बड़ी जीत हाशिल कर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कब्जा कर लिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खास व उनके साथ काम कर चुके पूर्व नौकरशाह व वर्तमान में उत्तर प्रदेश के ऊर्जा तथा नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने स्वामी प्रसाद को लेकर बड़ा संकेत दिया है। उन्होंने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्या भाजपा को लेकर इधर-उधर की बातें करते थे। मैंने उन्हें समझाया था यूँ कह करके कि “दुश्मनी जम कर करो, लेकिन ये गुंजाइश रहे फिर कभी हम दोस्त बन जायें तो शर्मिंदा न होना पड़े” मुझे वो शेर याद आ रहा है। अच्छा है कि हम फिर दोस्त बनने की तरफ आगे बढ़ रहे हैं। ऊर्जा मंत्री एके शर्मा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वसनीय नौकरशाह हैं।

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मोदी के कहने पर उन्होंने आईएएस की नौकरी में वीआरएस लिया।उसके बाद उत्तर प्रदेश से एमएलसी बना कर उन्हें दो प्रमुख विभागों ऊर्जा और नगर विकास जैसे बड़े विभागों का मंत्री बनाया गया। दोपहर का सामना इस वायरल वीडियो के सत्यता की पुष्टि नहीं करता लेकिन यदि यह सही है तो सवाल उठेंगे। इस संदर्भ में दोका सामना ने उनके मीडिया कंसल्टेंट से बात किया तो उन्होंने बताया कि यह आज ही मऊ में एक कार्यक्रम के बाद पत्रकारों के सवाल के जवाब में इनजनराल बोले हैं।

बता दें कि विधानसभा चुनाव 2022 में तत्कालीन श्रम एवं रोजगार मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य, आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी और वन, पर्यावरण एवं जंतु उद्यान मंत्री दारा सिंह चौहान ने योगी सरकार पर पिछड़ों, वंचितों, दलितों, किसानों और बेरोजगार नौजवानों की घोर उपेक्षा करने के रवैये के साथ-साथ दलितों के आरक्षण के साथ खिलवाड़ होने से आहत होकर मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर भाजपा छोड़ा था। इसमें सबसे पहले सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर को योगी ने बर्खास्त किया था। वह योगी सरकार में दिव्यांग कल्याण मंत्री थे।

 

अखिलेश के गठबंधन के साथ चुनाव लड़े ओम प्रकाश राजभर कुछ ही दिनों में सपा छोड़ भाजपा घटक में शामिल हो गये। जब से दोबारा भाजपा के साथ आये वह लगातार मंत्री होने की बात करते हैं। दारा सिंह चौहान का भी मंत्रिमंडल में होना पक्का बताया जाता है। वह सपा के विधायकी से पहले इस्तीफा दिये, फिर उपचुनाव में बंपर अंतर से पराजित हुये। उसके बाद भाजपा का दिल्ली नेतृत्व उन्हें एमएलसी बनवाया। धर्म सिंह सैनी नगर-निगम, नगर-निकाय के चुनाव के समय भाजपा में शामिल हो रहे थे। लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कड़े विरोध के चलते उन्हें आधे रास्ते से लौटा कर ज्वाइनिंग रोक दी गयी थी। सूत्रों की मानें तो योगी ने धर्म सिंह सैनी के आयुष घोटाले की फाइल सार्वजनिक करने की धमकी देकर उनकी ज्वाइनिंग रूकवाया था। लेकिन यदि एके शर्मा का दावा सच है कि स्वामी प्रसाद मौर्य और भाजपा नेतृत्व निकट आने की फिराक में हैं तो यह सवाल उठेगा कि जिन लोगों ने 2022 में योगी के चुनाव में बगावत किया वह 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी में क्यों दाखिल किये जा रहे हैं। जनता ने योगी आदित्यनाथ के पक्ष में मतदान कर स्वामी प्रसाद मौर्य और धर्म सिंह सैनी को हरा कर उनके गद्दारी की सजा दे दिया था।

 

पहली बात तो यह महत्वपूर्ण है कि यह जोड़ी (ओम प्रकाश राजभर व दारा सिंह चौहान) भाजपा के बाहर जाकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमलावर हुये उन्हें तरह-तरह से आरोपित किये लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमितशाह पर उतना हमला नहीं किये। ये सभी लोग भाजपा में शामिल होने या उससे निकटता करने के लिये सीधे अमितशाह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने का न सिर्फ हवाला देते हैं बल्कि यह बता कर सामने वालों के बीच योगी आदित्यनाथ पर सुपर सीट करने की कोशिश करते हैं। उत्तर प्रदेश के एक पूर्व महामंत्री संगठन जो कार्यकर्ताओं के लिये अतिदुर्लभ हो गये थे वह इन दलबदलुओं के लिये हरदम सुगम रहते हैं।

 

एक उपमुख्यमंत्री जिन्हें दिल्ली के एक पत्रकार का संरक्षण प्राप्त है वह भी इस वापसी में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। कहा जाता है कि वही पत्रकार अपने प्रिय को जिस फार्मूले से एकाएक उपमुख्यमंत्री बना कर सबको चौंकाये है वैसे ही दिल्ली में बैठे-बैठे अपने प्रिय को मुख्यमंत्री बनाने की बिसात बिछा रहे हैं। हालांकि बहुत शीर्षासन करने के बाद भी वह राज्यसभा नहीं जा पाये।

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