शुक्रदेव (शुक्र ग्रह) को हिन्दू ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है। इन्हें सौंदर्य, प्रेम, ऐश्वर्य, कला, भोग, वैवाहिक सुख और विलासिता का कारक माना जाता है। यदि कुंडली में शुक्र अशुभ स्थिति में हो तो वैवाहिक जीवन में परेशानी, धन की कमी, यौन रोग या सौंदर्य से जुड़े संकट आ सकते हैं। शुक्रदेव को प्रसन्न करने से ये समस्याएँ दूर हो सकती हैं।
🪔 शुक्रदेव को प्रसन्न करने के उपाय:
1. शुक्रवार का व्रत रखें:
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हर शुक्रवार को व्रत रखें।
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सफेद वस्त्र पहनें और चाँदी या सफेद फूलों से पूजा करें।
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व्रत में सफेद भोजन जैसे कि खीर, चावल, दही का सेवन करें।
2. शुक्र मंत्र का जाप करें:
मंत्र:
“ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः।”
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रोज़ या विशेष रूप से शुक्रवार को 108 बार इस मंत्र का जाप करें।
3. दान करें:
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गरीबों और ब्राह्मणों को चाँदी, सफेद वस्त्र, चावल, दही, सफेद मिठाई का दान करें।
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विधवा या कन्याओं को वस्त्र और श्रृंगार सामग्री देना भी शुभ होता है।
4. चाँदी का प्रयोग बढ़ाएँ:
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चाँदी की अंगूठी या चाँदी के बर्तन का प्रयोग करें।
5. शुक्र यंत्र की स्थापना करें:
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शुक्रवार के दिन शुभ मुहूर्त में शुक्र यंत्र स्थापित कर उसकी पूजा करें।
6. गुरु और स्त्रियों का सम्मान करें:
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जीवन में गुरुओं का आदर करें और स्त्रियों के प्रति सम्मानजनक व्यवहार रखें। शुक्रदेव इससे बहुत प्रसन्न होते हैं।
🛕 भारत में शुक्रदेव के प्रसिद्ध मंदिर:
शुक्रदेव के व्यक्तिगत मंदिर बहुत कम हैं, लेकिन नवग्रह मंदिरों में इनकी पूजा होती है।
1. श्री नवग्रह मंदिर, कुंभकोणम (तमिलनाडु):
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तमिलनाडु में नवग्रहों के लिए 9 प्रमुख मंदिर हैं, जिनमें शुक्र के लिए विशेष मंदिर शुक्रन मंदिर (Sukra Navagraha Temple) है।
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यह मंदिर अलंगुड़ी या कांजीरुर (Kanjanur) में स्थित है।
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यहाँ भगवान शिव को “अग्निश्वरेश्वर” और देवी को “कुशमा कुंबिनी” के रूप में पूजा जाता है, लेकिन शुक्र ग्रह की विशेष शक्ति मानी जाती है।
2. श्री नवग्रह मंदिर, त्रिची (तमिलनाडु):
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त्रिची के पास स्थित नवग्रह मंदिरों में भी शुक्र की विशेष पूजा होती है।
3. तिरुनेल्लई (केरल):
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यहां के मंदिरों में भी नवग्रहों के साथ शुक्र की विशेष पूजा होती है।
इस मंत्र के जप से प्रसन्न होते हैं शुक्रदेव, जानिए शुक्रदेव की महिमा