जिस प्रकार ग्रह दशाएं जीवन में होती है, उसी के अनुसार तिल भी हमारे शरीर के विभिन्न अंगों में होते हैं। यह हमारे भविष्य का संकेत देते है। इंगित करते है। जिस तरह का हमारा प्रारब्ध होता है, उसी के अनुसार हमे जीवन प्राप्त होता है। ग्रह दशाएं उसी के अनुसार होती हैं। उसी के अनुसार फल की प्राप्ति होती है। इन्हीं ग्रह दशाओं को हमारे शरीर में तिल के माध्यम से जाना जा सकता है। हां, इतना जरूर है कि शकुन के लिए विषय का गंभीर अध्ययन होना अपरिहार्य है। ज्योतिष के मतानुसार यह तिल शरीर के अगल-अलग हिस्सों में ग्रह दशानुसार बनते हैं। मसलन, ज्योतिष में 12 राशियां होती है, जिनका शरीर पर स्थान अलग-अलग होता है। मेष का सिर, वृष का मुख, मिथुन का स्तन, कर्क का हृदय, सिंह का उदर, कन्या का कंठ, तुला का नाभि, वृश्चिक का लिंग, धनु का गुदा, मकर का जंघा, कुम्भ का घुटना और मीन का पैर पर होता है। उसकी राशि के अनुसार तिल भी होता है। यदि राशि में पापयुक्त ग्रह हो या पापी ग्रह हो तो तिल या लहसन आवश्य होता है। स्त्रियों के बाएं हिस्से व पुरुषों के दाहिने हिस्से में तिल आदि शुभाशुभ फल प्रदान करते हैं।
तिल का प्रभाव
1- जंघा पर तिल व्यक्ति को रसिक बनाता है। यह व्यक्ति स्त्री संभोग को सदैव तत्पर रहता है।
2-पैर पर तिल मनुष्य को राजा आदि की सवारी का सुख दिलाता है।
3- पुरुष के लिंग पर तिल हो तो पुरुश स्त्री के प्रति आसक्त रहता है।
4- करतल यानी हथेलियों पर तिल हो तो मनुष्य को निरंतर द्रव्य प्राप्त होता रहता है।
5- हाथ के पीछे का तिल व्यक्ति को कंजूस बनाता है। पीठ, कमर, नितम्ब, बुप्तेन्द्रि के पास या उस स्थान पर तिल हो तो अक्सर व्यर्थ ही रहते हैं। यानी उनका लाभ या नुकसान नहीं होता है।
6- माथे पर बायीं तरफ तिल का होना प्रमाणित करता है कि वह व्यक्ति का जीवन परेशानियों से गुजरेगा। जबकि दाहिनी ओर तिल होना मान-मर्यादा आदि प्राप्त कराता है।
7- ठुड्डी पर तिल स्त्री सुख में बाधक होता है।
8- आंखों पर ऊपर भौंहे होती है, इस स्थान पर तिल के होने से मनुष्य को अक्सर यात्रा ही करनी पड़ती है।
9- कभी-कभी आंखों पर तिल का दर्शन होता है, यहां पर तिल का तात्पर्य किसी सुंदर वस्तु से है। सृष्टि में स्त्री को सौन्दर्य का प्रतीक माना जाता है। अत: इस तिल का सम्बन्ध स्त्री से माना जा सकता है। दाहिनी आंख का सम्बन्ध भी स्त्री से माना जा सकता है। दाहिनी आंख पर तिल हो तो व्यक्ति स्त्री प्रेमी होता है। इसके उलट यदि बायीं आंख पर तिल हो तो व्यक्ति को स्त्री के कारण परेशानी हो सकती है।
1०- गाल पर तिल होना, हमेशा की तरह से वहीं फल यानी दाहिनी गाल पर शुभ और बायीं गाल पर अशुभ होता है। यहां पर तिल रोजी-रोजगार का सूचक होता है।
11- होंठ पर तिल व्यक्ति को अय्याश बनाता है। ऐसे व्यक्ति लोभी होते हैं।
12- कानों पर तिल होने से व्यक्ति को श्रवणे सर्वसिद्धि….. के अनुसार सम्पूर्ण सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
13- गर्दन पर तिल व्यक्ति को आलसी बनाता है।
14- कंठे भक्तों मनुष्यों……. यानी जिसके कंठ पर तिल होता है, वह भक्त हो जाता हैं।
15- भुजा पर तिल दोनों तरफ लाभदायक होता है। भुजा यानी बाहु में तिल हो तो धनवान बनाता है। बाहौ धनं विजानी…….यानी वह धन पर विजय प्राप्त करता है। इसके साथ ही बाई भुजा पर तिल पुत्र सुख भी दिलाता है।
16- स्यान्नासा दुष्ट: प्रकीर्तित:…. अर्थात नाक पर तिल का होना व्यक्ति का दुष्टपन दर्शाता है। ऐसे व्यक्ति कलह करने वाला और एक जगह जमकर या स्थायी न बैठने वाला होता है।
17- छाती पर तिल मात्र दाहिनी तरफ शुभ होता हैं, इस स्थान का सम्बन्ध भी स्त्री से माना गया है। इसलिए दाहिनी तरफ का तिल स्त्री के प्रति ठीक रहता है।
18- हृदय पर तिल सौभाग्य को बढ़ाने वाला रहता है।
19- छाती के मध्य तिल भी शुभ ही रहता है।
2०- कमर पर तिल भविष्य में सफलता दायक नहीं होता है।
21- पेट पर तिल होने पर उत्तम भोजन की प्राप्ति होती रहेेगी।
22- हाथ के अंगूठे पर तिल मनुष्य को गति प्रदान करता है।
23- तर्जनी अंगुली पर तिल मनुष्य को धनी बनाता है।
24- मध्यमा पर तिल शांति व सुख प्रदान करता है।
25- अनामिका पर तिल मनुष्य को विद्या, कीर्ति, धन की प्राप्ति कराता है।
26- कनिष्ठा पर तिल मनुष्य को संतान सुख और धन सुख प्राप्त कराता है।
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