तिल्ली ( Spleen ) -( 1 ) नीबू को बीच में से काटकर उसको गर्म करके थोड़ा नमक लगाकर कई दिन तक भोजन से पूर्व चूसने से बढ़ी हुई तिल्ली ( प्लीहा ) अपने प्राकृतिक आकार में आ जाती है।
( 2 ) तिल्ली बढ़ने पर पेट बढ़ जाता है, तेज चलने पर साँस फूलती है, मलेरिया हो जाता है। दो चम्मच प्याज के रस में आधा नीबू निचोड़कर, दो चम्मच पानी मिलाकर सुबह – शाम पियें नीबू का अचार भी खायें।
( 3 ) एक गिलास पानी में एक नीबू निचोड़कर पियें। इस प्रकार तीन बार रोजाना पियें। नीबू का पानी पीने से तिल्ली की सूजन ठीक हो जाती है।
नासूर ( फिस्चुला )– टी.बी. व कैंसर- ताजा नीबू शाम को पानी में डालें। प्रातः इसी पानी को गर्म करें, नीबू उसी पानी में गर्म होते समय भी रहे। इससे नीबू नरम होगा, रस सरलता से निकलेगा। एक नीबू का रस निकालकर स्वादानुसार शहद और थोड़ा सा पानी मिलाकर सुबह – शाम भूखे पेट खाने से पहले पियें। इस तरह आरम्भ करके एक – एक नीबू प्रतिदिन बढ़ाते जायें और सात दिन तक पियें। इसके बाद एक – एक नीबू घटाते जायें। यदि इस अवधि में नीबू के कारण जी घबराये, किसी प्रकार की हानि हो तो नीबू बढ़ाना बंद कर दें, कम कर दें, सामान्य स्थिति आने पर सात दिन का कोर्स ( अवधि ) पूरा कर लें। कैंसर , नासूर व टी.बी. में लाभ होगा। आशानुरूप लाभ नहीं हो तो पुनः यह कोर्स करें।
ज्वर – चाहे मलेरिया हो , मौसमी ज्वर हो, सामान्य ज्वर हो, जब ज्वर बहुत कम हो, तब दो घण्टे पूर्व कालीमिर्च, नमक और फिटकरी, समान मात्रा में पीसकर आधे नीबू पर डालकर चूसें। नीबू को गर्म न करें और दूसरा आधा टुकड़ा इसी प्रकार एक घण्टे बाद चूसें। मलेरिया बुखार ठीक हो जायेगा और ऐसा करने से मौसमी ज्वर भी ठीक हो जायेगा।