गठिया और जोड़ों के दर्द में तुलसी एक चमत्कारी औषधि की तरह काम करती है। इसके पत्ते, जड़ और बीज वात विकार को शांत कर दर्द और सूजन में जबरदस्त राहत देते हैं। प्राकृतिक औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी का नियमित सेवन और प्रयोग जोड़ों को स्वस्थ और गतिशील बनाए रखने में सहायक है।
1. तुलसी में वात विकार को मिटाने का गुण पाया जाता है। अतः यदि वात की प्रवृत्ति से नाड़ियों में दर्द जान पड़े तो उसमें तुलसी के काढ़े का प्रयोग हितकारी होता है। यदि जोड़ों में दर्द हो तो तुलसी के पत्तों का रस पीते रहने से लाभ होता है। मांस और चोट आदि पर तुलसी के स्वरस की मालिश करने से भी आराम मिलता है।
2. तुलसी की जड़, पत्ते, डंटल, मंजरी और बीज — इन पाँचों को समान मात्रा में लेकर कूट-छानकर 6 माशा की मात्रा में पुराने गुड़ के साथ मिलाकर प्रातः-सायं वकरी (बकरी) के दूध के साथ सेवन करने से गठिया का रोग दूर हो जाता है।
3. वन तुलसी के पंचांग को पानी में उबालकर उसका भपारा (भाप) लेने से लकवा और गठिया में लाभ होता है।