यात्रा में उल्लू की आवाज और दर्शन बायों तरफ ही शुभ रहा करते हैं । प्रवासी के पीछे की तरफ जाना भी काम में सफलता का सूचक है, किन्तु इसका दाहिनी तरफ दिखना और आवाज करना अशुभ रहता है । संस्कृत में धूक कहते हैं । रात में यह पक्षिराज माना जाता है । दिन में इसे दिखाई नहीं देता। यदि यह अपने घोंसले से निकल आये तो कौवे इसे बहुत परेशान करते हैं।
उल्लू देता है भविष्य का संकेत, तंत्र क्रियाओं में होता है उपयोग
यह कई तरह की आवाजें करता है । अनेक बार तो यह ऐसे बोलता है ,जैसे कोई बच्चा रो रहा हो । लोक विश्वास के अनुसार यह उजाड़ में रहता है, इसलिए यह सूनापन चाहता है । रात्रि में यात्रा कर रहे व्यक्ति कोचर, उल्लू और सियारी के शकुन ही अधिकतर हुआ करते हैं। यदि कोई प्रवास कर रहा व्यक्ति अपनी बायीं को देखता है अथवा उसकी आवाज सुनता है तो कार्यसिद्धि की सूचना होती है। इसके विपरीत अर्थात् दाहिनी तरफ बोलने पर विफलता सूचना देता है, पीठ पीछे बोलने पर उत्तम और सामने बोलने पर अशुभ फल देता है। यह जब ‘ हुम – हुम ‘ ऐसी आवाज करता है तो दूषित नहीं होता क्योकि इस प्रकार की आवाज करने पर यह संभोग का इच्छुक होता है। सामान्यतया उल्लू का घर पर बैठना अशुभ माना जाता है। सामान्यतया इसलिए कि कारण विशेष से बैठना एक बात है और भावी का अनुमान लगाकर बैठना दूसरी बात । भावो का अनुमान कुछ पशु – पक्षियों को हो जाता है और इस परिज्ञान के कारण वे जब कोई चेष्टा या व्यवहार करते हैं तो शकुन के निमित ग्राहा होते हैं अन्यथा नहीं । मान लीजिए कोई ऐसी जगह है जहा बैठकर वह अपने भोज्य जीवों को आसानी से देख लेता है । अथवा जहां मिल जाते हैं तो ऐसी स्थिति में केवल उसके बैठने का हो दोष लगता है। यदि किसी घर की छत पर बैठकर यह बोलता है तो उस ग्रह में गृहपति या किसी अन्य पारिवारिक जन को मृत्यु होती है । एक सप्ताह से अधिक समय तक यदि यह घर की मुंडेर पर बैठता है तो घर के विनष्ट अथवा नष्ट हो जाने की सूचना देता है । तीन दिन तक यदि उल्लू दरवाजे पर बैठकर रोता है तो चोरी होने की प्रबल आशंका होती है । इसके दोध को शान्ति के लिए रात्रि में मांस की बलि देनी चाहिए। उल्लू दिन में किसी भी दिशा में, किसी भी तरफ बोलता है तो अशुभ को हो सूचना देता है ।
उल्लू देता है भविष्य का संकेत, तंत्र क्रियाओं में होता है उपयोग